पूर्वोत्तर राज्यों के समस्याओं के निराकरण में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी शुरू से ही लगे हुए है. इसी के तहत मंगलवार को असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराना लंबित सीमा विवाद भी सुलझ गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “आज असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराना लंबित सीमा विवाद सुलझ गया है. विवाद के 12 में से 6 बिंदुओं को सुलझा लिया गया है, जिसमें लगभग 70% सीमा शामिल है. शेष 6 बिंदुओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा.” उन्होंने कहा, “2014 से, मोदी जी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रयास किए हैं. आज, मैं असम के सीएम और मेघालय के सीएम और उनकी टीमों को उनके सीमा विवाद को सुलझाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने पर बधाई देता हूं.”
असम और मेघालय की सरकारों ने सीमा विवाद को दूर करने के लिए मंगलवार को देश की राजधानी दिल्ली में ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते के तहत 36.79 वर्ग किमी भूमि के लिए प्रस्तावित सिफारिशों के अनुसार, असम 18.51 वर्ग किमी रखेगा और शेष 18.28 वर्ग किमी मेघालय को देगा. बता दें की मेघालय 1972 में असम से अलग होकर एक राज्य बना था और इसने असम पुनर्गठन कानून, 1971 को चुनौती दी थी जिससे 884.9 किलोमीटर लंबी साझा सीमा के विभिन्न हिस्सों में 12 इलाकों को लेकर विवाद पैदा हुआ था.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उनके मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ-साथ इन राज्यों के अन्य अधिकारियों और गृह मंत्रालय के अधिकारियों की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए.
मेघालय के सीएम कोनराड के संगमा ने कहा, “सबसे पहले मैं गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने हमें पूर्वोत्तर राज्यों में सीमा विवादों को सुलझाने का निर्देश दिया. आज संकल्प का पहला चरण हो चुका है. यह असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के कारण ही संभव हो सका.”
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “यह हमारे लिए ऐतिहासिक दिन है. इस एमओयू के बाद अगले 6-7 महीनों में बाकी विवादित स्थलों की समस्या का समाधान करने का हमारा लक्ष्य है. हम पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश में विकास का इंजन बनाने की दिशा में काम करेंगे.”