महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन को लेकर शिवसेना के सुर अब नरम होने लगे हैं। शिवसेना के एक नेता की बातों पर यकीन करें तो आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी राज्य की कुल 288 विधानसभा सीटों में से 135 पर राजी हो सकती है। हालांकि, भाजपा चाहती है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के छोटे दलों का भी समुचित समायोजन हो। इससे पहले शिवसेना 144 सीटों और ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग पर अड़ी हुई थी।
पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘135-135 सीटों पर चुनाव लड़ने के फॉर्मूले को स्वीकार करते हुए शिवसेना 18 सीटों को गठबंधन के दूसरे दलों-आरपीआइ (ए), राष्ट्रीय समाज पक्ष व शिव संग्राम पार्टी के लिए छोड़ सकती है।’ हालांकि, शिवसेना चाहती है कि सहयोगी दलों के लिए 18 और सीटों का आवंटन भाजपा अपने हिस्से से करे, क्योंकि वे उसके साझीदार हैं। इस प्रस्ताव पर बीजेपी की सहमति की गुंजाइश बहुत कम है, लेकिन ऐसा हुआ तो पार्टी को सिर्फ 117 सीटों पर प्रत्याशी उतार पाएगी।
उधर, भाजपा के सहयोगी दलों ने इस समस्या को और जटिल कर दिया। आरपीआइ (ए) के नेता व केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, आरएसपी नेता और राज्य के मंत्री माधव जानकर तथा एसएसपी के नेता विनायक मेटे ने भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि दूसरे दलों से आए नेता और बढ़ती राजनीतिक ताकत को समायोजित करने के लिए बीजेपी के चुनाव प्रबंधक 135 से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं।
पिछले ही शनिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के साथ एक कार्यक्रम में मंच साझा किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन अटल है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ी थीं। इसमें बीजेपी को 122 व शिवसेना को 63 सीटों पर जीत मिली थी।