ब्यूरो चीफ,
रांची: झारखंड में आये दिन बेमीयादी अनिश्चीत कालीन हड़ताल से कई कामकाज प्रभावित हो रहे हैं. राज्य भर के राजस्व अंचल उप निरीक्षक हड़ताल पर हैं. 38 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका, सहायिका हड़ताल पर हैं. पंचायतों के स्वंयसेवक भी अपनी मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन, घेराव कर रहे हैं. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग और महिला और बाल विकास विभाग के सचिवों ने हड़ताल को वैध नहीं मानते हुए इसे समाप्त करने का निर्देश दिया है. आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका से एक सप्ताह के भीतर काम पर लौटने का आग्रह किया गया है, पर हड़ताली कर्मियों पर सरकार के आदेश का कोई असर नहीं हो रहा है. इन हड़ताली कर्मियों की वजह से सरकार की किरकिरी भी बनी हुई है.
जानकारी के अनुसार राजस्व उप निरीक्षकों के हड़ताल पर जाने से 288 प्रखंड कार्यालय और 70 से अधिक अंचल कार्यालयों का कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है. सरकार का मानना है कि राजस्व उप निरीक्षक फिलहाल प्रशिक्षण में हैं. प्रशिक्षण अवधि में 2020 नवंबर तक कोई हड़ताल पर नहीं जा सकता है. राजस्व एवं भूमि सुधार सचिव केके सोन ने सभी उपायुक्तों को पत्र लिख कर यहां तक कह दिया है कि ये दो बार यानी 7.3.2017 औक 24.2.2018 में ये हड़ताल कर चुके हैं. इस बार इनकी यह तीसरी हड़ताल है. उन्होंने सभी उपायुक्तों से इनसे अतिरिक्त काम लेने का आदेश जारी किया है. वहीं धरना कार्यक्रम में बैठी आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका भी इस बार झुकने के मूड में नहीं हैं. विभागीय सचिव अमिताभ कौशल ने तो यहां तक कह दिया है कि काम पर नहीं लौटनेवालों की जगह नयी सेविका, सहायिका का चयन कर लिया जायेगा.