खास बातें:-
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16 सितंबर से 19 सितंबर तक तीन दिन में निर्गत की 178.42 करोड़ रुपए.
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राज्य में चल रही हैं 9414.47 करोड़ की 31 सिंचाई परियोजनाएं, अब तक खर्च हो चुके हैं 4114.45 करोड़ रुपये.
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राष्ट्रीय औसत से 30 फीसदी कम है झारखंड में सिंचाई सुविधा.
रांचीः जलसंसाधन विभाग में फिलहाल दे धनाधन चल रहा है. योजनाओं के लिए दनादन राशि निर्गत की जा रही है. हाल यह है कि सिर्फ प्रेस कांफ्रेंस के लिए किताब छपवाने में 89 हजार रुपए की राशि निर्गत की गई है. 16 सितंबर से 19 सितंबर के बीच विभिन्न योजानाओं के लिए 178.42 करोड़ रुपए निर्गत किए गए. इसमें प्रेस कांफ्रेंस की किताब छपवाने के अलावा बक्शा जलाशय योजना के पुनर्द्धार के लिए 1184.06 लाख, प्रोजेक्ट प्रोग्रेस मॉनिटिरिंग सिस्टम को विकसित करने के लिए 318.470 लाख, जयपुर जलाशय योजना के लिए 10.93 लाख, मध्यम सिंचाई योजना के लिए 205.134 लाख, पंचम लघु सिंचाई गणना के लिए 49.0660 लाख, स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय योजना के लिए 15550 लाख, षष्टम लघु सिंचाई योजना के लिए 103.38 लाख, पंचम लघु सिंचाई गणना के लिए 19.496 लाख और विशुनपुर वीयर योजना के लिए 402.02 लाख रुपए निर्गत किए गए.
सिंचाई योजनाओं में खर्च हो चुके हैं 4114.45 करोड़
राज्य में 9414.47 करोड़ की 31 सिंचाई परियोजनाएं चल रही हैं. ये परियोजनाएं 1970 से 2011 के बीच में शुरू हुई. लेकिन पांच दशक से अधिक समय बीतने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई है. इन योजनाओं में अब तक 4114.45 करोड़ रुपये भी खर्च हो चुके हैं, लेकिन अधिकांश प्रोजेक्ट का काम पूरा नहीं हो पाया है. यही नहीं परियोजनाओं की लागत राशि भी चार गुना तक बढ़ गई है.
आठ डैमों में पानी नहीं
जलसंसाधन विभाग के 54 डैमों में से 46 डैमों में भरपूर पानी है, जबकि लोहरदगा में नंदिनी, खूंटी में लतरातू, चतरा में बक्सा, चतरा में बरही, कोडरमा-गिरिडीह में पंचखेरो, पलामू में धनकाई, गढ़वा में चटनिया घाट और पलामू में भूटनडूबा डैम में पानी नहीं है. रांची में लतरातू और तजना से पानी लाने का प्रस्ताव भेजा गया है. विभाग के अनुसार बदलते मौसम के कारण पानी संकट की स्थिति उत्पन्न हुई है.
राष्ट्रीय औसत से कम है सिंचाई सुविधा
हालांकि पिछले पांच साल में 21 फीसदी सिंचाई क्षमता में वृद्धि हुई है. पांच चार साल पहले प्रदेश में 16 फीसदी ही सिंचाई सुविधा उपलब्ध थी, जो बढ़कर 37 फीसदी हो गई है. वहीं राष्ट्रीय औसत 67 फीसदी है, जबकि झारखंड में 37 फीसदी ही सिंचाई क्षमता है. इस हिसाब से झारखंड में सिंचाई क्षमता राष्ट्रीय औसत से 30 फीसदी कम है. राज्य में 27.03 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. इसमें 10 लाख हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध है.
2020 तक 268962 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा पहुंचाने का है लक्ष्य
2015 में मध्यम एवं वृहद सिंचाई योजना के तहत 91323 हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा उपलब्ध थी, 2018-19 में यह बढ़कर 210720 हेक्टेयर हो गई. 2020 तक 268962 हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. किसानों को सालों भर पानी के लिए सीडब्ल्यूसी से 26 रिजर्व वायर योजनाएं स्वीकृत हो चुकी हैं. इन योजनाओं के पूरा होने से 102000 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं होगी. इंटर स्टेट स्कीम के लिए सेंट्रल वाटर कमिशन मध्यस्थता कर रहा है.