रांचीः राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय का ट्वीटर वार जारी है. मंत्री ने एक बार फिर से ट्वीट कर सुझाव भी दिया है. मतलब कहीं पे निगाहें और कहीं पे निशाना. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा है कि राजनीतिक दलों को केवल कोशिश नहीं करनी चाहिये बल्कि सुनिश्चित भी करना चाहिये कि उनका नेतृत्व बेदाग हो, और उसका आचरण भ्रष्ट नहीं हो. नेतृत्व पर आरोप लगे तो मौन टूटे, जांचोपरांत विश्वसनीय स्पष्टीकरण हो.नेतृत्व बेदाग होगा तो अधीनस्थ भी बेदाग होंगे. राजनीति,ख़ासकर सत्ता की राजनीति,स्वच्छ होगी.
सिस्टम को लेकर सरयू राय करते रहे हैं ट्वीट
मंत्री सरयू राय सिस्टम की खामियों को हमेशा सामने लाते रहे हैं. चाहे वह राशन कार्ड रद्द होने का मामला हो, या ब्यूरोक्रेशी में बातों के नहीं सुने जाने का मामला हो. हर खामियों को उन्होंने सरकार के सामने निर्भीक होकर रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. व्यवस्था की खामियों को उजागर करने का प्रयास निरंतर जारी भी है. पिछले पांच साल के दौरान कई ऐसी खामियों को सरयू राय ने सरकार के समाने रखा है.
भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाते रहे हैं आवाज
मंत्री सरयू राय ने करप्शन के भी कई मामलों को सामने लाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. कई मामलों पर उन्होंने सीएमओ को भी पत्र लिखा. अब विधानसभा चुनाव से पहले सरयू राय ट्वीट के जरीए व्यवस्थाओं में व्याप्त खामियों को भी बताने की कोशिश कर रहे हैं. ट्वीट के जरीए ईशारा भी कर रहे हैं कि अगर इन खामियों को दूर नहीं किया गया तो चुनावी रणनीति में विपरित असर भी पड़ सकता है.
पांच सितंबर को क्या किया था ट्वीट
प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बिगुल फूंक दिया है, कुछ ही दिन बाद झारखंड विधानसभा चुनाव आ रहा है. जिनके दामन पर भ्रष्टाचार के नये-पुराने, छोटे-बड़े दाग हैं, जो जांच में साबित हो गये हैं, जिनपर कार्रवाई दबी पड़ी है. उन्हें समय रहते किनारा कर लेना चाहिए. समय बलवान होता है.
9 सितंबर को क्या किया था ट्वीट
राजनीति में परिवारवाद पर प्रधानमंत्री का सतत प्रहार केवल पारिवारिक पदऋंखला तक ही नहीं रूके बल्कि पुत्र, भाई, भतीजा, साला सदृश इनके परिवार के सदस्यों के अवैध आचरण को भी परखें. खास कर जब संविधान-कानून की शपथ लेने वाले अधिकारी इनके अवैध कारनामों को खुला शह देते दिखने लगे है.
25 सितंबर का ट्वीट
काम करते समय/ज़िम्मेदारी निभाते समय/निर्णय लेते समय जाने-अनजाने गलती संभव है,मानवीय भूल संभव है.किसी ने यह गलती/भूल/अनियमितता बता दिया और करने वाले ने सुधार लिया तो संभावित भ्रष्टाचार रूक गया. पर बताने पर भी सुधार नहीं किया,परदा डालने का प्रयास करते रहा तब यह करना भ्रष्टाचार है.