28 सितंबर को भारत की स्वर सम्राज्ञी ‘लता मंगेशकर’ का जन्मदिन है. देश का हर व्यक्ति उनके संगीत को सुनना पसंद करता है. 28 सितम्बर 1929 को इंदौर में जन्मीं लता मंगेशकर अपने जन्मदिन को भी आम दिनों की तरह मानती हैं. जी हां,उनके लिए यह दिन खास नहीं है. लता मंगेशकर अपने व्यक्तिगत जीवन को लेकर भी हमेशा चर्चा में रही हैं. आइए उनके जन्मदिन के अवसर पर जानते हैं कि लता मंगेशकर ने क्यों नहीं की शादी…
लता मंगेशकर ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में अपनी शादी न करने की वजह के साथ-साथ अपनी जीवन से जुड़ी बहुत सारी खास बातों को साझा किया. लता ने बताया कि दरअसल घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी मुझ पर थी. ऐसे में कई बार शादी का ख्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी. बेहद कम उम्र में ही मैं काम करने लगी थी. बहुत ज्यादा काम मेरे पास रहता था. सोचा कि पहले सभी छोटे भाई बहनों को व्यवस्थित कर दूं. फिर कुछ सोचा जाएगा. फिर बहन की शादी हो गई. बच्चे हो गए. तो उन्हें संभालने की जिम्मेदारी आ गई। और इस तरह से वक्त निकलता चला गया.
किशोर दा से पहली मुलाकात
40 के दशक में जब मैंने फिल्मों में गाना शुरू ही किया था. तब मैं अपने घर से लोकल पकड़कर मलाड जाती थी. वहां से उतरकर पैदल स्टूडियो बॉम्बे टॉकीज जाती. रास्ते में किशोर दा भी मिलते. लेकिन मैं उनको और वो मुझे नहीं पहचानते थे. किशोर दा मेरी तरफ देखते रहते. कभी हंसते, कभी अपने हाथ में पकड़ी छड़ी घुमाते रहते. मुझे उनकी हरकतें अजीब सी लगतीं.
मैं उस वक़्त खेमचंद प्रकाश की एक फिल्म में गाना गा रही थी. एक दिन किशोर दा भी मेरे पीछे-पीछे स्टूडियो पहुंच गए. मैंने खेमचंद जी से शिकायत की. “चाचा, ये लड़का मेरा पीछा करता रहता है. मुझे देखकर हंसता है” तब उन्होंने कहा, “अरे, ये तो अपने अशोक कुमार का छोटा भाई किशोर है” फिर उन्होंने मेरी और किशोर दा की मुलाक़ात करवाई. और हमने उस फिल्म में साथ में पहली बार गाना गाया.
मोहम्मद रफी से झगड़ा
60 के दशक में मैं अपनी फिल्मों में गाना गाने के लिए रॉयल्टी लेना शुरू कर चुकी थी. लेकिन मुझे लगता कि सभी गायकों को रॉयल्टी मिले तो अच्छा होगा. मैंने, मुकेश भैया ने और तलत महमूद ने एसोसिएशन बनाई और रिकॉर्डिंग कंपनी एचएमवी और प्रोड्यूसर्स से मांग की कि गायकों को गानों के लिए रॉयल्टी मिलनी चाहिए. लेकिन हमारी मांग पर कोई सुनवाई नहीं हुई. तो हमने एचएमवी के लिए रिकॉर्ड करना ही बंद कर दिया. तब कुछ निर्माताओं और रिकॉर्डिंग कंपनी ने मोहम्मद रफी को समझाया कि ये गायक क्यों झगड़े पर उतारू हैं. गाने के लिए जब पैसा मिलता है तो रॉयल्टी क्यों मांगी जा रही है. रफी भैया बड़े भोले थे. उन्होंने कहा, “मुझे रॉयल्टी नहीं चाहिए.”
उनके इस कदम से हम सभी गायकों की मुहिम को धक्का पहुंचा. मुकेश भैया ने मुझसे कहा, “लता दीदी. रफ़ी साहब को बुलाकर आज ही सारा मामला सुलझा लिया जाए.” हम सबने रफी जी से मुलाक़ात की. सबने रफ़ी साहब को समझाया. तो वो गुस्से में आ गए. मेरी तरफ देखकर बोले, “मुझे क्या समझा रहे हो. ये जो महारानी बैठी है. इसी से बात करो.” तो मैंने भी गुस्से में कह दिया, “आपने मुझे सही समझा. मैं महारानी ही हूं.” तो उन्होंने मुझसे कहा, “मैं तुम्हारे साथ गाने ही नहीं गाऊंगा.” मैंने भी पलट कर कह दिया, “आप ये तक़लीफ मत करिए। मैं ही नहीं गाऊंगी आपके साथ.” फिर मैंने कई संगीतकारों को फोन करके कह दिया कि मैं आइंदा रफ़ी साहब के साथ गाने नहीं गाऊंगी. इस तरह से हमारा तीन साढ़े तीन साल तक झगड़ा चला.