संजना/आकांक्षा,
रांचीः कहा भी जाता है कि हर जलते दिए तले अंधेरा होता है, हर रात के पीछे एक सवेरा होता है, लोग डर जाते हैं मुश्किलों को देखकर,पर हर मुश्किल के पीछे सफलता का सवेरा होता है. ऐसा ही रांची के लाल ने हर बाधाओं को झेलते हुए मुकाम हासिल किया है. आज उसकी चर्चा वर्ल्ड के सबसे नामी मैगजीन फोर्ब्स में हो रही है. जी हां हम बात कर रहे हैं रांची के वरूण बंका का. वरूण ने अपने स्र्टार्टअप के दम पर राजधानी के अपर बाजार से लेकर #फोर्ब्स मैगजीन तक का सफर तय किया है. फॉर्ब्स के नए अंक में वरुण बंका के स्टार्टअप की चर्चा की गई है.
वरूण की कंपनी को गूगल (#Google) ने भी किया चयन
वरूण की सफलता का कारवां सिर्फ यहीं रूका नहीं. #गूगल ने अपने गूगल लांच पैड एक्सीलेटर कार्यक्रम के लिए भी चयन किया. वरूण की सोशल कॉप्स कंपनी डेटा संग्रह का काम करती है. इस डेटा का इस्तेमाल समाज कल्याण के लिए किया जाता है. इस कंपनी से लगभग 100 देशों के 150 संगठन मदद ले रहे हैं. यही नहीं देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा भी वरूण कंपनी के निवेशकों में शामिल हैं. #पीएम_नरेंद्र_मोदी भी #सिलिकॉन वैली के दौरे के दौरान कंपनी का मॉडल देख चुके हैं.
2013 से शुरू हुई थी कंपनी सोशल कॉप्स
#सिंगापुर_यूनिवर्सिटी से बिजनेस स्टडी करने के बाद गोल्डमैन सॉक्स से 2013 में सोशल कॉप्स की शुरूआत की. वरूण की इस कंपनी को भारत सरकार ने 2016 में गांवों में रहने वाली उन महिलाओं की जानकारी जुटाने की जिम्मेवारी दी, जो लकड़ी या धुंआ फैलाने वाले इंधन का इस्तेमाल करती थी.
ये काम वरूण की कंपनी को क्यों मिला
उस वक्त भारत सरकार 5 करोड़ घरों में गैस सिलेंडर देना चाहती थी. इसके लिए सरकारी तेल कंपनियों के हजारों सेंटर खोले जाने की जरूरत थी. वरूण की कंपनी सोशल कॉप्स की टीम ने 17 हजार गैस डिस्ट्रीब्यूटरों से संपर्क कर डाटा एकत्र किया. इसके तहत आबादी, सेंटर से दूरी व आर्थिक स्थिति के संबंधित डेटा एकत्र किए गए. इससे सेंटर खोलने के लिए सही स्थान की जानकारी मिल गई. पहले ही साल कंपनी ने 2.2 घरों का डेटा एकत्र कर लिया. जबकि टारगेट 1.5 करोड़ का ही थी. वरुण के स्टार्टअप की चर्चा फोर्ब्स के साथ न्यूयॉर्क टाइम्स, फार्च्यून, फेमिना, इकोनॉमिक टाइम्स, स्टार प्लस, सीएनबीसी आवाज, एनडीटीवी समेत अन्य पत्रिकाओं और चैनलों पर हो रही है.