जम्मू-कश्मीर: उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्र सरकार द्वारा पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के निरस्त किए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर से 144 किशोरों को हिरासत में लिया गया है हालांकि यह भी बताया गया है कि 142 नाबालिगों को बाद में रिहा कर दिया गया.
समिति ने उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी रिपोर्ट में कहा कि शेष दो किशोरों को किशोर सुधार गृह भेजा गया है.
उच्चतम न्यायलय के समक्ष मंगलवार को सुनवाई के लिए मामला सामने आने के बाद न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायाधीश एम. आर. शाह और न्यायाधीश बी. आर. गवई की पीठ ने बाल अधिकार कार्यकर्ताओं एनाक्षी गांगुली और शांता सिन्हा की ओर से पेश हुए. वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी को बताया कि उसे उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति से एक रिपोर्ट मिली है, जिसमें नाबालिगों को कथित रूप से हिरासत में लिए जाने के संबंध में बयानों को खारिज किया गया है.
अहमदी ने पीठ के आग्रह किया कि वह समिति की रिपोर्ट को लेकर जवाब दाखिल करना चाहेंगे, जिस पर पीठ ने उन्हें इसकी इजाजत दे दी. साथ ही मामले में अगली सुनवाई के लिए दो हफ्ते बाद की तारीख निश्चित की है.
उच्चतम न्यायालय ने 20 सितंबर को समिति से दो बाल अधिकार कार्यकर्ताओं की ओर से दायर याचिका में दिए गए तथ्यों के संबंध में जांच करने का आदेश दिया था. दायर की गई याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को जब से हटाया गया है तब से जम्मू कश्मीर में नाबालिगों को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया.
मुख्य न्यायाधीश अली मोहम्मद माग्रे की अध्यक्षता वाली जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की चार सदस्यीय किशोर न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जब शीर्ष न्यायालय के 23 सितंबर के आदेश को उसके संज्ञान में लाया गया है तो संबंधित जांच एजेंसियों से तथ्यों की पुष्टि के लिए तुरंत इस संबंध में बैठक आयोजित की गई.
समिति ने पुलिस एवं अन्य जांच एजेंसियों की तरफ से दी गई सूचना का हवाला देते हुए उन मामलों की विस्तृत जानकारी दी जिनके तहत इन किशोरों को हिरासत में लिया गया था.
जम्मू कश्मीर के डीडीपी की ओर से समिति को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार, ‘यह कहना उचित होगा कि किसी भी बच्चे को पुलिस प्रशासन ने अवैध रूप से हिरासत में नहीं लिया है क्योंकि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जाता है. इसलिए याचिका में जिन कथनों का उल्लेख किया गया है, वे गलत तरीके से पेश किए गए हैं और ये सुनवाई योग्य नहीं हैं.’
समिति ने अपनी रिपोर्ट में शीर्ष न्यायालय को बताया कि राज्य में दो किशोर निरीक्षण गृह स्थापित किए गए हैं, एक श्रीनगर के हरवान में और दूसरा जम्मू के आरएस पुरा में. इसके अनुसार पांच अगस्त के बाद से हरवान के किशोर निरीक्षण गृह में 36 किशोरों को भेजा गया. जिनमें से 21 को जमानत दे दी गई, जबकि 15 के संबंध में जांच जारी है.
इसके अनुसार 5 अगस्त के बाद से 23 सितंबर तक आरएस पुरा किशोर निरीक्षण गृह भेजे गए 10 किशोरों में से 6 को जमानत दे दी गई है. जबकि शेष 4 के खिलाफ जांच जारी है.
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