दुनियाभर में किसी भी एक इंसान की जिंदगी आसान नही है. सभी को अपना हक पाने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ती है. कभी समाज से तो कभी अपने आप और परिवार से, लेकिन लड़ना जरूर पड़ता है. क्योंकि कोई चीज आसानी से हासिल नहीं होती है. ऐसे में आज आपको एक ऐसे ट्रांसजेंडर के बारे में बताएंगे जिनकी लाइफ काफी मुश्किलों भरी है. उनकी लाइफ में कुछ भी आसान नहीं था. इन्ही मुश्किलों का सामना करते हुए आज 20 साल एडम हैरी प्राइवेट विमान के पहले ट्रांसजेंडर पायलट बन गए.
केरल सरकार ने हैरी को कमर्शियल लाइसेंस की पढ़ाई के लिए 23 लाख रुपये की सहायता राशि देने का फैसला किया है. एडम हैरी 20 साल के हैं. हैरी की गलती सिर्फ इतनी है कि वो ट्रांसजेंडर हैं, इसीलिए घर वालों ने उन्हें घर से निकाल दिया था.
बता दें एडम हैरी के पास प्राइवेट पायलट लाइसेंस है. यात्री विमान उड़ाने के लिए उन्हें कमर्शियल लाइसेंस की जरूरत है. परिवार द्वारा घर से निकाल देने के बाद हैरी के पास फीस देने के लिए क्या उनके खाने तक के लिए भी पैसे नहीं थे। ऐसे में उनकी पायलट की ट्रेनिंग के 3 साल के लिए 23।34 लाख रुपये का खर्चा आएगा.
केरल सरकार ने ऐलान किया है कि वह हैरी की ट्रेनिंग रुकने नहीं देगी. सरकार ट्रेनिंग का पूरा खर्चा उठाएगी. हैरी अब तिरुवंतपुरम के राजीव गांधी एविएशन टेक्नोलोजी अकादमी में पायलट की पढ़ाई करेंगे. बता दें हैरी को बचपन से अपने लिंग के बारे में शक था, लेकिन पायलट बनने के सपने को लेकर उन्हें कभी कोई भ्रम नहीं था.
जानकारी के मुताबिक एडम हैरी को रूढ़िवादी माता-पिता द्वारा पीटा गया, इतना ही नहीं घरवालों ने उन्हें बीएस अपने घर तक ही सिमित कर दिया. इस पीड़ा से बचने के लिए हैरी को घर से भागना पड़ा. लेकिन, अपने सपने का पीछा करने के दृढ़ संकल्प ने इस केरलवासी, एडम हैरी को अपने लिंग को लेकर यातना और उत्पीड़न से लड़ने और 2 साल पहले निजी पायलट का लाइसेंस प्राप्त करने वाला देश के पहले ट्रांसजेंडर पायलट बनने में मदद की है.
एडम हैरी ने राज्य के सामाजिक न्याय विभाग और उसके सचिव बीजू प्रभाकर को उनके संघर्षों को समझने और उनके सपने को पूरा करने में मदद करने के लिए दिल से आभार व्यक्त किया है. हैरी ने कहा कि मेरी मदद करने के लिए मैं केरल सरकार का आभारी हूं. उन्होंने कहा अगर सरकार मदद नहीं करती तो मेरा पायलट बनने का सपना कभी पूरा नहीं हो पाता.