- डॉक्टरों और क्लीनिकों के प्रबंधन को अपना व्यवहार नियंत्रित करने की जरूरत
- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड इकाई के साथ बैठक में लिया गया फैसला
रांची 24 JUNE: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड इकाई की मांग पर मुख्य सचिव डॉ डीके तिवारी ने राज्य के सभी जिलों के अस्पतालों, चिकित्सकों तथा स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसक घटनाओं को रोकने व दोषियों पर कार्रवाई के लिये एक डीएसपी को अधिकृत करने का निर्देश गृह विभाग को दिया है।
जिले के एसपी किसी डीएसपी को बतौर नोडल पदाधिकारी अधिकृत करने के साथ उनका मोबाइल नंबर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड इकाई को उपलब्ध कराएंगे।
डॉक्टर अथवा कोई चिकित्साकर्मी किसी भी आपात स्थिति में उस नंबर पर कॉल कर त्वरित सहायता प्राप्त कर सकेंगे। मुख्य सचिव सोमवार को प्रोजेक्ट भवन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड इकाई के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता कर रहे थे।
मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने का होगा प्रयास
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड इकाई द्वारा मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की मांग पर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार इस मसले को अंजाम तक पहुंचाने का प्रयास करेगी।
डॉक्टरों और क्लीनिकों के प्रबंधन को भी अपना व्यवहार नियंत्रित करने की जरूरत है। डॉक्टर और मरीज के बीच अपनेपन के रिश्ते पर जोर देते हुए कहा कि इससे तनावपूर्ण स्थिति से बचा जा सकता है।
देश के 19 राज्यों में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट अलग-अलग नामों से लागू है । डॉक्टरों से दुर्व्यवहार करनेवालों को तीन वर्ष की सजा के साथ जुर्माना का भी प्रावधान है।
क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट बनेगा व्यवहारिक
मुख्य सचिव ने राज्य में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को व्यवहारिक बनाने की मांग पर सहमति जताते हुये मेडिकल एसोसिएशन से प्रस्ताव देने को कहा।
रिंची हॉस्पीटल के घायल डॉक्टर को सरकारी सहायता देने की मांग पर स्पष्ट किया गया कि ऐसा कोई सरकारी प्रावधान नहीं है, लेकिन मानवता के नाते सरकार से इस पर बात की जायेगी।
रिंची हॉस्पीटल मामले के अनुसंधान में जो भी दोषी होगा, उसपर कानूनी कार्रवाई की जायेगी। भ्रूण परीक्षण में आरोपी महिला चिकित्सक के संबंध में कहा गया कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है।
बायो मेडिकल वेस्ट का जल्द लें लाइसेंस
मुख्य सचिव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के आलोक में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को यथाशीघ्र बायो मेडिकल वेस्ट का लाइसेंस लेने को कहा।
उन्होंने कहा कि इसकी पूरी प्रक्रिया आॅनलाइन व पारदर्शी है। जो भी क्लिनिक संचालक लाइसेंस लेने में देर करेंगे, वे कानूनी दायरे में आ जायेंगे।
इसलिये किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई से बचने के लिये समय रहते नियमों का पालन करें।