3 दशक से चले आ रहे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद (Ram janam bhumi-babri masjid) में नया मोड़ आया है. उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (UP Sunni Central Waqf Board) ने इस मामले में दायर केस को वापस लेने का फैसला किया है. वक्फ बोर्ड ने मध्यस्थता पैनल के जरिये इस बाबत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हलफनामा (Affidavit) दाखिल किया है. खबर है कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हलफनामा दाखिल करने से पहले अपने वकीलों से सलाह-मशविरा भी नहीं किया. हलफनामे में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह अपना केस वापस लेना चाहता है. वक्फ बोर्ड ने यह हलफनामा अयोध्या विवाद को सुलझाने को लेकर गठित मध्यस्थता पैनल के सदस्य श्रीराम पंचू के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है. वहीं, मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने स्पष्ट कर दिया था कि अब किसी भी तरह के हस्तक्षेप की अर्जी को स्वीकार नहीं किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने केस वापस लेने के बोर्ड के फैसले की जानकरी से अनभिज्ञता जाहिर की है. उन्होंने बताया कि उन्हें वक्फ बोर्ड ने केस वापस लेने की सूचना नहीं दी है. अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में आठ मुस्लिम पक्षकारों ने केस दायर किए हैं. मुख्य पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दो केस दायर किए गए हैं.
इकबाल अंसारी के वकील शमशाद का कहना है कि अयोध्या विवाद मामले की सुनावाई निर्णायक दौर में है, ऐसे में किसी भी पक्ष द्वारा संबंधित समुदाय को नोटिस दिए बगैर इस स्टेज पर केस वापस नहीं लिया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा केस वापस लेने की स्थिति में भी इस मामले पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि मामले के अन्य पक्षकार कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बने रहेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर आज आखिरी दिन की सुनवाई होनी है. इससे पहले मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी अपनी राय व्यक्त की है. मुफ्ती मन्ना मालिनी ने कहा कि अब कोर्ट को फैसला करना है. मुकदमा हक-ए-मिल्कियत (जमीन पर अधिकार) का है. हमें भरोसा है कि मुकदमा हमारे हक में है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि जैसे प्रशासन ने वीएचपी को दीप प्रज्ज्वलित करने से मना कर दिया, वैसे ही कोर्ट भी उन्हें अनुमति नहीं देगा. वहीं, मुफ्ती दानिश जरूरी ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर यकीन है कि जो भी फैसला आएगा वो ईमानदारी से आएगा. कारी सलीम रजा का कहना है कि राजनीति से अलग फैसला आना चाहिए. जिस तरह का भी फैसला होगा उसे माना जाएगा.