प्रमोद उपाध्याय,
हजारीबाग: हजारीबाग पुलिस लाइन में जवानों के लिए बने शौचालय इन दिनों अपनी बदहाली का रोना रो रहा है. बताते चलें कि हजारीबाग पुलिस लाइन में जवान के लिए शौचालय बनाया गया था. शौचालय की स्थिति बद से बदतर हो गई है. जहां पर जाना जवान स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से मुनासिब नहीं समझ रहे हैं और खुले में शौच करने के लिए विवश है. विभाग मौन है. जब इस बात की भनक आजाद सिपाही संवाददाता को मिली तो जानकारी लेने पुलिस लाइन पहुंचे जहां शौचालय देखने के बाद ऐसा लगा कि शौचालय तो लाखों रुपए की लागत से बनाई गई है पर इन्हें सफाई करने के लिए कोई नहीं है. इस बात के बारे में जब जवानों से पूछा गया तो जवानों ने बताया कि इसकी सूचना विभाग को दी गई है. लेकिन उनके तरफ से कोई कार्रवाई नहीं किया गया. यहां का मोटर 2 महीना से खराब है लेकिन कोई सुध लेने वाला अधिकारी नहीं है.
पूछे जाने पर जवान ने बताया कि जवानों को डिसिप्लिन में रहने को सिखाई जाती है. क्या पदाधिकारियों को डिसीप्लिन का ख्याल करना चाहिए. पुलिस लाइन में हर महीने में मेष कमांडर की बदली होने का प्रधान है. लेकिन 4 साल से एक ही मेष कमांडर लगातार काम कर रहा है. जबकि मैच मेहम परडे के हिसाब से खाना खाते हैं. वह हमारा पैसा से खाना बनता है. फिर भी हम जवानों ने किसी से कुछ नहीं कहा. जबकि डिसीप्लिन के ख्याल रखते हुए एक जवान 2 दिन आमरण अनशन पर बैठा है फिर भी उसे कोई पूछने वाला पदाधिकारी नहीं है. बल्कि उसे आमरण अनशन के बावजूद भी ड्यूटी दे दी गई है. बुधवार को जवान की ड्यूटी चतरा बाल बंदी को पहुंचाने की दी गई है. जवान दो दिन से अनशन पर है. कही इसकी वजह से कोई बड़ी घटना ना घट जाए.
क्या कहते हैं मेजर
इस संबंध में मेजर अजीत चौबे ने कहा कि गंदा को साफ करने के लिए जवान का ही ड्यूटी बनता है. शौचालय साफ करने के लिए गर्मी है अगर ढंग से कर्मी से नहीं करवाया जाएगा तो सफाई अच्छा नहीं हो पाएगा. नए शौचालय के लिए मेंटेन के लिए फंड आता है. पुराना शौचालय बना हुआ है. उसका कोई फंड नहीं है.