संवाददाता
रांची: झारखंड में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के 40 फीसदी स्कूलों में प्रयोगशाला नहीं है. जिस वजह से इन स्कूलों को अब प्रायोगिक परीक्षा से अलग रखा जाएगा. बोर्ड की ओर से स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए प्रायोगिक परीक्षा में होम सेंटर समाप्त करने की घोषणा की गई है. इसका असर अब विद्यार्थियों की परीक्षा पर पड़ेगा. प्रायोगिक परीक्षा का केंद्र उन्हीं स्कूलों में बनाया जाएगा, जहां मानक के अनुरूप प्रायोगशाला है. अब एक-एक स्कूल में चार से पांच विद्यालयों का परीक्षा केंद्र पड़ सकता है. वर्तमान समय में राज्य के 456 स्कूल सीबीएसई से संबद्ध है.
ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की स्थिति खराब
सीबीएसई के मुताबिक राजधानी या शहरी क्षेत्र के स्कूलों की प्रयोगशालाएं मानक के अनुरूप है. जबकि ग्रामीण क्षेत्र या छोटे शहरों के स्कूलों की प्रयोगशालाएं बेहतर नहीं है. परीक्षा में इसका असर उन स्कूलों में पड़ सकता है जहां प्रयोगशालाएं है. एक प्रयोगशाला में एक साथ 40 बच्चे बैठ सकते है. इसके मद्देनजर परीक्षा में इस बात का भी ख्याल रखना होगा.
नये नियम
सीबीएसई ने 2020 से प्रायोगिक परीक्षा के नियम में बदलाव किया है. इसके मुताबिक नए सत्र से अब प्रायोगिक परीक्षा होम सेंटर में नहीं होगी. अब एक स्कूल का परीक्षा केंद्र दूसरे स्कूल में बनाया जाएगा. स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए सीबीएसई की ओर से यह निर्णय लिया गया है.
एडमिट कार्ड पहले
12वीं की प्रायोगिक परीक्षा 15 जनवरी से 15 फरवरी तक चलेगी.बोर्ड की ओर से इस बार प्रायोगिक परीक्षा से पहले ही एडमिट कार्ड जारी कर दिया जाएगा. इसमें परीक्षा के समय और केंद्र का भी ब्योरा रहेगा.