ब्यूरो चीफ
रांची: झारखंड राज्य खनिज विकास निगम का यूनियन बैंक का खाता डेढ़ महीने तक अदालत के आदेश के बाद फ्रीज कर दिया गया था. यह बातें सरकार की तरफ से इसलिए छिपा दी गयी, क्योंकि जेएसएमडीसी की तरफ से संवेदक पंचम सिंह को 6.05 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया गया था. खाता संख्या 528902010001652 को निचली अदालत के बाद अटैच कर दिया गया था.
निगम की तरफ से 1994-95 में रांची निवासी पंचम सिंह को सिकनी कोल ब्लॉक से कोयले क्लीनिंग और क्लीयरिंग तथा अन्य काम दिया गया था. इसका भुगतान निगम की तरफ से वर्षों तक नहीं किया गया. मामला अपर न्यायायुक्त-13 की अदालत तक पहुंचा. इसके बाद याचिका संख्या 20 ऑफ 2010 की सुनवाई करते हुए मार्च 2010 में नगर निगम प्रशासन को तत्काल 6,05,96,307.56 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था, पर निगम की तरफ से इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जून 2019 में अदालत ने बैंक खाता जब्त कर पैसे अटैच कर लिये. दो महीने से अधिक समय तक जेएसएमडीसी का खाता अटैच ही रहा.
दोषी व्यक्ति पर नहीं हुई कार्रवाई
जेएसएमडीसी के कर्मचारी संतोष कुमार, जो निगम के लीगल कार्यों को देखते थे. उनकी वजह से निगम का खाता अटैच हुआ. इनके खिलाफ निगम प्रबंधन ने कोई कार्रवाई नहीं की, हां संतोष कुमार को लीगल कार्यों से हटा कर दूसरा सेक्शन दे दिया गया. अब ये स्थापना का काम देखते हैं और निगम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) के चहेते बने हुए हैं. इनके साथ एक मनीष कुमार भी हैं, जो नियमतः लिपिक हैं. ये रामगढ़ से आये हैं. रामगढ़ में कोल ट्रेडिंग का काम ये देखते थे. इनके कार्यकाल में एक ही चालान पर कई ट्रक कोयले की खरीद-बिक्री की गयी. बाद में मामला जब पकड़ में आया, तो इनका स्थानांतरण जेएसएमडीसी मुख्यालय कर दिया गया. अब ये भी स्थापना शाखा का काम देख रहे हैं.
आठ वर्ष पहले तक का ऑडिट भी नहीं हुआ है
निगम में एकाउंट्स का अंकेक्षण काफी पीछे चल रहा है. 2018-19 वित्तीय वर्ष में भी आठ वर्ष पहले यानी 2009-10 का खाता-बही अप टू डेट नहीं है. कभी 25 करोड़ का मुनाफा अर्जित करनेवाला निगम आज अपने ही कर्मचारियों की कारगुजारियों की वजह से परेशानी में है. फिलहाल निगम की स्थिति क्या है, यह किसी को नहीं मालूम है. 11 खदानों में से 10 खदान वर्षों से बंद हैं. दो ग्रेनाइट और ग्रेफाइट ग्राइंडिंग फैक्टरी की स्थिति भी दयनीय है.