नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि भारत ने अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातों पर काम किया है लेकिन कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो लंबी अवधि के विकास के लिए ज़रूरी हैं उन पर काम किए जाने की ज़रूरत है. आईएमएफ़ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने गुरुवार को वाशिंगटन में संवाददाताओं से कहा, “भारत ने अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातों पर काम किया है लेकिन कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिस पर काम किए जाने की ज़रूरत है. वित्तीय क्षेत्र में बैंकिंग सेक्टर, विशेष रूप से गैर बैंकिंग संस्थाओं को लेकर सुधार किए जाने की ज़रूरत है.”
आईएमएफ़ ने मंगलवार को अपनी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की ताज़ा रिपोर्ट में भारत के विकास दर के अनुमान को 0.90 बेसिस पॉइंट घटाते हुए 6.1 फ़ीसदी कर दिया है. यह इस साल तीसरी बार है जब आईएमएफ़ ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास दर में कटौती की है. जुलाई के महीने में ही आईएमएफ़ ने 2019-20 में भारतीय विकास दर के 7 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया था, जबकि इसी वर्ष अप्रैल में इसके 7.3 फ़ीसदी रहने की बात की थी. हालांकि आईएमएफ़ ने 2020-21 में इसमें सुधार की उम्मीद भी जताई है.
बुल्गारिया की इकोनॉमिस्ट क्रिस्टलीना जॉर्जिवा सितंबर के अंत में ही आईएमएफ़ की प्रमुख बनी हैं. उनके इस पद पर आने के बाद पहली बार ये आंकड़े आए हैं.
जॉर्जिवा ने कहा कि, “भारत को उन चीज़ों पर काम जारी रखना होगा जो लंबे समय तक विकास की गति को बनाए रखने के लिए ज़रूरी हैं. साथ ही उनका कहना था कि भारत सरकार अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए काम कर रही है, लेकिन भारत को अपने राजकोषीय घाटे पर लगाम लगानी होगी.”
हालांकि जॉर्जिवा ने कहा कि “बीते कुछ वर्षों में भारत में विकास दर बहुत मजबूत रही है और आईएमएफ़ अभी भी उसके लिए बेहद मजबूत विकास दर का अनुमान लगा रही है.”
6.1 फ़ीसदी विकास पर क्या बोलीं निर्मला सीतारमण?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के विकास दर को 6.1 फ़ीसदी किए जाने पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का भी बयान आया है. आईएमएफ़ और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक में भाग लेने वाशिंगटन पहुंचीं सीतारमण ने कहा कि “भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से विकसित होती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और आईएमएफ़ ने भले ही विकास दर के अनुमानों को घटा दिया है लेकिन देश की अर्थव्यवस्था अब भी सबसे तेज़ी से विकास कर रही है.”
उन्होंने यह भी कहा कि “मैं चाहती हूं कि यह और तेज़ी से विकास कर सके. इसके लिए मैं हरसंभव कोशिश करूंगी लेकिन सच यह है कि भारत अब भी तुलनात्मक रूप से तेज़ी से विकास कर रहा है.”
क्या है भारत में सुस्ती का कारण?
मंगलवार को ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने कहा था कि “एक दशक पहले आए वित्तीय संकट के बाद पहली बार सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था इतनी सुस्त दिखाई दे रही है.”
भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर आईएमएफ़ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि, “कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की कमज़ोरी और उपभोक्ता और छोटे और मध्यम दर्जे के व्यवसायों के कर्ज़ लेने की क्षमता पर पड़े नकारात्मक असर के कारण भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान में कमी आई है.”