खास बातें :-
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झारखंड में एक मात्र राजनीतिक दल बाकी पार्टियां परिवार की कंपनी
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कांग्रेस, आरजेडी, जेएमएम लोकतंत्र की विरोधी
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नर्सिंग होमवाले समझें, भ्रूण हत्या को लेकर सरकार गंभीर
रांचीः सीएम रघुवर दास ने कहा है कि झारखंड में भारतीय जनता पार्टी ही एकमात्र राजनीतिक दल है. बाकी सभी परिवार की कंपनियां बनकर रह गए हैं. जैसे कांग्रेस सोनिया परिवार एंड कंपनी, झारखंड मुक्ति मोर्चा सोरेन परिवार एंड कंपनी और आरजेडी लालू यादव एंड कंपनी. अगर देश का कोई प्रधानमंत्री बनता है तो सोनिया परिवार एंड कंपनी से, कोई मुख्यमंत्री बनता है तो सोरेन परिवार एंड कंपनी से ही बनेगा. इन्होंने यह परंपरा कायम रखी है. ये सभी पार्टियां लोकतंत्र की विरोधी हैं. क्योंकि लोकतंत्र में एक जूता सीने वाले से लेकर चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है. इसका उदाहरण दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. कांग्रेस और जेएमएम ने गरीबों, आदिवासियों के नाम पर वोट बैंक की राजनीति की. लेकिन जिनके नाम पर इन्होंने राजनीति की उन्हें हाशिए पर छोड़ दिया. ये बातें रघुवर दास ने कही. सीएम रविवार को कोडरमा में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे.
5 साल में 30 लाख घर तक बिजली
कांग्रेस और यूपीए ने 67 साल के शासनकाल में झारखंड के 38 लाख घरों तक बिजली पहुंचाई 30 लाख घरों को बिजली से वंचित छोड़ दिया. वर्तमान सरकार में 5 साल के कार्यकाल में ही 30 लाख घरों को बिजली से रोशन किया है. यह सब डबल इंजन सरकार की कार्य प्रणाली की वजह से संभव हो सका. झारखंड में विकास की गति को और बढ़ाने के लिए डबल इंजन सरकार की जरूरत है. आप सभी कोडरमा वासियों को धन्यवाद और नमन करता हूं. आपकी वजह से ही कोडरमा संसदीय क्षेत्र से भाजपा की प्रत्याशी चार लाख से अधिक मतों से विजयी रही. एक बार पुनः आप सभी नया भारत नया झारखंड बनाने के लिए राज्य में डबल इंजन की सरकार बनाएं.
नर्सिंग होम वाले यह बात समझें, भ्रूण हत्या रोकने को लेकर सरकार है गंभीर
कोडरमा में भ्रूण हत्या की शिकायतें मिलती रहती हैं. नर्सिंग होम वाले पाप की कमाई ना करें. ईमानदारी से की गई कमाई आपको सुकून देगी, आपको चैन की नींद आएगी. भ्रूण हत्या रोकने को लेकर सरकार गंभीर है. इस बात को नर्सिंग होम वाले समझे जिला प्रशासन भी इस ओर गंभीरता से ध्यान दे. सरकार ने राज्य की बेटियों की समृद्धि के लिए सुकन्या योजना लागू की है, जिसके तहत बच्ची के जन्म से लेकर उसकी विदाई तक 70 हजार रुपए खर्च किया जा रहा है. आप सभी झारखंड वासी बेटा और बेटी में फर्क ना करें. बाल विवाह को भी हमें रोकना है. झारखंड में लिंग अनुपात की कमी नहीं होनी चाहिए.