रांचीः बैंको के विलय को लेकर बैंक कर्मी मंगलवार को हड़ताल पर रहे. इसमें एसबीआई और ग्रामीण बैंक के कर्मी शामिल नहीं हुए. बैंक कर्मियों की हड़ताल से लगभग 200 करोड़ रूपए का कारोबार प्रभावित होने की संभावना जताई गई है. यह हड़ताल ऑल इंडिया बैंक एम्प्लॉइज एसोसिएशन (एआईबीईए) और बैंक इम्प्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया(बीईएफआई) ने बुलाई है. झारखंड बैंक इंप्लोई फेडरेशन के सलाहकार अभिजीत मल्लिक ने बताया कि देश भर में बैंकों के विलय को रोकने, बैंक कर्मियों की सुरक्षा पुख्ता और सभी बैंकों में समुचित भर्ती जैसी मांगों को लेकर ये हड़ताल बुलाई गई है. यह सांकेतिक हड़ताल है, जिसमें तमाम अधिकारियों को लिपिकीय कार्य से अलग रहने का निर्देश दिया है, जिससे बैंकिंग कार्य पूर्णत: ठप रहेगा.
ये है बैंक कर्मियों की प्रमुख मांगें
मालिक ने कहा कि हमारी मांगों में बैंकों का विलय रोकना, जन विरोधी बैंकिंग सुधारों को रोकना, दंडात्मक शुल्क लगाकर ग्राहकों को प्रताड़ित नहीं करना, ग्राहकों की जमा राशि पर ब्याज दर में बढ़ोतरी, जमा पूंजी की पूरी तरह सुरक्षा, ग्राहकों से सेवा शुल्क में वृद्धि नहीं करना, खराब ऋणों की वसूली में तेजी लाना सहित अन्य प्रमुख मांगे शामिल है. इस हड़ताल में जो संगठन शामिल नहीं है, उनका भी नैतिक समर्थन प्राप्त है.
क्या है मामला
सरकार की तरफ से पिछले दिनों छह पीएसबी (पब्लिक सेक्टर बैंक) का चार बड़े बैंकों में विलय कर दिया गया. बैंक कर्मचारी इस फैसले का विरोध कर रहे हैं. यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का पंजाब नेशनल बैंक में विलय कर दिया था. सिंडिकेट बैंक का विलय केनरा बैंक में कर दिया गया. इलाहाबाद और इंडियन बैंक का विलय कर दिया गया था. आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का विलय यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में कर दिया गया. वहीं एसबीआई का कहना है कि उसके बहुत कम कर्मचारी एआईबीईए और बीईएफआई से जुड़े हैं, ऐसे में हड़ताल का ज्यादा असर नहीं दिखेगा. प्राइवेट बैंक इस हड़ताल में शामिल नहीं हो रहे. ऐसे में प्राइवेट बैंक में खाता रखने वाले ग्राहकों का काम नहीं रुकेगा.