भारत के भू राजनीतिक एकीकरण के सूत्रधार ‘लौहपुरुष’ सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 144वीं जयंती है. आजादी के बाद बंटवारे के समय भारतीय रियासतों के विलय से स्वतंत्र भारत को नए रूप में गढ़ने वाले पटेल भारत के सरदार के रूप में जाने जाते हैं. वह अपने अदम्य साहस व प्रखर व्यक्तित्व के कारण ही भारत को एक धागे में पिरोने में कामयाब हो सके.
भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती देश भर में राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनायी जा रही है. साल 2014 से 31 अक्तूबर का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस दिन देशभर के लोग एकता दौड़ में भाग लेते हैं.
गृहमंत्री अमित शाह ने आज सवेरे नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम से एकता दौड़ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. उन्होंने दौड़ में भाग लेने वाले लोगों को एकता की शपथ भी दिलाई. इस अवसर पर गृहमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल ने हमेशा देश की एकता के लिए कार्य किया और अथक परिश्रम से साढ़े पांच सौ से अधिक रजवाड़ों का भारत में विलय कराया. शाह ने कहा कि 5 अगस्त को मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को हटाकर सरदार पटेल का अधूरा सपना साकार किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सवेरे गुजरात के केवड़िया में स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी.
प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी से हाल की अपने मन की बात कार्यक्रम में लोगों से बड़ी संख्या में एकता दौड़ में भाग लेने का आह्वान किया था. उन्होंने कहा था कि यह एकता का प्रतीक है और दिखाता है कि देश एक दिशा में सामूहिक रूप से एक भारत श्रेष्ठ भारत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ रहा है. इस कार्यक्रम की घोषणा प्रधानमंत्री ने 31 अक्तूबर, 2015 को सरदार पटेल की 140वीं जयंती पर की थी.
इस कार्यक्रम का उद्देश्य आपसी समझ को बढ़ावा देने के लक्ष्य से विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में रहने वाले अलग-अलग संस्कृतियों के लोगों के बीच आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना है.
प्रधानमंत्री कल रात अहमदाबाद पहुंचे, जहां राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल और अन्य लोगों ने उनका स्वागत किया.