झारखंड विधानसभा चुनाव की तैयारियों के मद्देनजर शनिवार को निर्वाचन सदन में पर्यवेक्षकों की बैठक हुई. इसमें पर्यवेक्षकों की भूमिका और कार्यप्रणाली पर चर्चा हुई. इसमें तय हुआ कि आयोग के अधिकारी अगले सप्ताह राज्य का दौरा कर स्थिति की समीक्षा करेंगे. इस दौरान भी पर्यवेक्षकों के साथ बैठक होगी.
झारखंड में 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में मतदान होगा और नतीजे 23 दिसंबर को आएंगे. निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए आयोग करीब तीन सौ आईएएस, आईपीएस और राजस्व सेवा के अधिकारियों को तैनात करेगा.
बैठक में पर्यवेक्षकों को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा चुनाव को सुचारु और निष्पक्ष संपन्न कराने की जिम्मेदारी पर्यवेक्षकों की होती है. इसलिए उन्हें जमीनी स्थितियों के अनुरूप फैसला लेने के लिए अधिकृत किया जाता है.
आयोग सभी पर्यवेक्षकों के साथ 24 घंटे 7 दिन सीधे जुड़ा रहेगा. इतना ही नहीं वीडियो कांफ्रेंसिंग की मदद से उनके द्वारा की जा रही कार्रवाइयों का आकलन भी किया जाएगा. वहीं चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने कहा, झारखंड में ऑब्जर्वर ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों के समक्ष कड़ी चुनौतियां होंगी. इसलिए अधिकारियों को अपने कर्तव्यों के निर्वहन में तटस्थ और निष्पक्ष रहना होगा.
उन्होंने कहा, यही राज्य में आयोग के प्रतिनिधि होंगे. इसलिए उन्हें धन बल से लेकर कानून व्यवस्था और शस्त्र लाइसेंस जैसे मामलों में सख्ती के साथ नियमों को लागू कराना होगा. बैठक के दौरान पहली बार वृद्धों और दिव्यांगों को मिल रही पोस्टल बैलेट की सुविधा पर जरूरी दिशा-निर्देश जारी किये गए. बैठक में चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारी उमेश सिन्हा, संदीप सक्सेना, चंद्र भूषण, धीरेंद्र ओझा और दिलीप शर्मा भी मौजूद रहे.