नई दिल्ली: भारत चाहता है कि रूस एस-400 मिसाइल प्रणाली की डिलिवरी जल्द से जल्द करे. भारत ने इस प्रणाली के लिए रूस को 6000 करोड़ की पहली किस्त का भुगतान कर दिया है. अब वह बिना विलंब इसे अपने बेड़े में शामिल करना चाहता है. यह मिसाइल सिस्टम 380 किलोमीटर की रेंड में जेट्स, जासूसी प्लेन, मिसाइल और ड्रोन्स की निशानदेही और नष्ट कर सकता है.
सूत्रों के अनुसार बुधवार को मॉस्को में होने वाले 19वें भारत-रूस इंटरगर्वमेंटल कमीशन ऑन मिलिट्री एंड मिलिट्री टेकनिकल कॉर्पोरेशन (आईआरआईजीसी-एमएंडएमटीसी) में एस-400 के पांच स्क्वाडन की जल्द डिलवरी को लेकर चर्चा की जाएगी. अक्टूबर 2018 में दोनों देशों के बीच करीब 5.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 40 हजार करोड़) का एस-400 करार हुआ था.
बैठक में परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बी अकुला-1 की लीज को लेकर भी चर्चा होगी. 3 बिलियन डॉलर से ज्यादा यानी करीब 21000 करोड़ की इस डील पर दोनों देशों के बीच इसी साल मार्च में करार हुआ था. साथ ही डेलिगेशन-लेवल बातचीत में पारस्परिक सैन्य सामानों की संधि पर भी चर्चा होगी. भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और उनके रूसी समकक्ष सेरगी शोइगु इस बैठक की सह अध्यक्षता करेंगे. भारत चाहता है कि आईएनएस चक्र की लीज को 2025 या अकुला-1 पनडुब्बी भारतीय नौसेना का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह तैयार होने तक बढ़ाया जाए.
इस सबके बीच एस-400 की डिलवरी प्राथमिकता सूची में सबसे ऊपर है. इस रक्षा प्रणाली की वास्तविक डिलिवरी अक्टूबर 2020 से अप्रैल 2023 के बीच है. भारत के लिए यह कितना महत्त्वपूर्ण है, इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि गुरुवार को राजनाथ सिंह सेंट पीटर्सबर्ग में इसकी फैक्टरी भी जा सकते हैं.
गौरतलब है कि अमेरिका ने रूसी हथियारों को खरीदने को लेकर कुछ पाबंदियां लगाईं थीं, इसके बाद भारत और रूस ने हाल ही में भुगतान को लेकर रास्ता निकाला था. एक सूत्र ने कहा एस-400 डील की पहली किस्त का भुगतान करने में कई महीने की देरी हो चुकी है. अब रूस को भुगतान कर दिया गया है और बाकी किस्तों के भुगतान का तरीका भी निकाल लिया गया है. रूस ने भारत को आश्वस्त किया है कि वह तयशुदा वक्त भी भारत को एस-400 की डिलिवरी करेगा. भारत हालांकि इसमें और तेजी लाना चाहता है.