अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला आने के बाद तमाम राजनीतिक व धार्मिक हस्तियां अपनी प्रतिक्रिया दे रही हैं. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने अयोध्या पर आए फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, आज बहुत ही खास दिन है. आखिरकार हमारे कारसेवकों का बलिदान सार्थक हुआ. आज बाला साहेब होते तो इस ऐतिहासिक दिन का गवाह बनकर खुशी महसूस करते. ठाकरे ने कहा, जनभावना और तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, हम उसका अभिनंदन करते हैं. अब रामजन्म भूमि पर राम मंदिर निर्माण हो और रामराज्य का सपना सच हो.
बता दें कि अयोध्या का मुद्दा इतना पुराना और विवादित रहा है कि न इसकी न जाने कितनी कहानियां हैं. 1990 के दौर में भी अयोध्या मुद्दा काफी गर्माया हुआ था. अक्टूबर 1990 में देश के विभिन्न राज्यों से लाखों कारसेवकों की भीड़ अयोध्या में उमड़ पड़ी थी. इन कारसेवकों की अगुवाई उमा भारती, अशोक सिंघल और स्वामी वामदेवी जैसे हिन्दूवादी नेता कर रहे थे. उस समय उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. हनुमान गढ़ी ओर बढ़ रही कारसेवकों की भीड़ जब बेकाबू हो गयी तो 30 अक्टूबर को पुलिस गोली चला दी, जिसमें करीब आधा दर्जन कारसेवकों की मौत हो गयी. इस घटना के बाद कारसेवकों में भारी रोष छा गया.
कारसेवक लगातार हनुमान गढ़ी पहुंचने का प्रयास कर रहे थे. 2 नवंबर की सुबह हनुमान गढ़ी के सामने लाल कोठी की सकरी गली में कारसेवकों की भीड़ बढ़ी चली आ रही थी. छतों पर हथियारों से लैस पुलिस व सुरक्षा बल तैनात खड़े थे. जब हालात बेकाबू होने लगे तो मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने गोली चलाने का आदेश दे दिया था. जिसमें एक बार फिर करीब डेढ़ दर्जन कारसेवकों की मौत हो गयी. हालांकि यह सरकारी आंकड़ा है. प्रत्यक्षदर्शियों का आज भी कहना है कि मरने वालों की संख्या कहीं इससे ज्यादा थी. इस गोली कांड में कोलकाता से आए कोठारी बंधुओं की भी मौत हो गयी थी.