बोकारो/लुगुबुरु: 19वां अंतरराष्ट्रीय संथाल सरना धर्म महासम्मेलन -सह- लुगु बुरु घंटाबाड़ी धोरोम गाढ़ राजकीय महोत्सव 2019 के दूसरे तथा समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल, झारखंड ने बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया प्रखंड के ललपनिया लुगुबुरु में आयोजित कार्यक्रम से देश के विभिन्न कोने तथा विदेश से आये संथाली भक्तजनों को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक सौहार्द के वातावरण में स्थित यह स्थल आस्था का अद्भुत केंद्र, संथाल आदिवासी का धार्मिक धरोहर के रूप में विख्यात है.
बचपन से कहानी सुना लुगुबुरु के बारे में, यह आस्था एवं विश्वास का स्थल है. झारखंड में कई ऐसे स्थल है जहां धर्म की पूजा होती है. पारसनाथ, छिन्नमस्तिका में भी संथाली आस्था का केंद्र है. आदिवासी देवी-देवता खुले आसमान में रहना पसंद करते हैं. प्रकृति की पूजा होती है. पेड़ पौधे, हवा, पानी, चांद, सूर्य की पूजा करते हैं. वे अटल विश्वासी है, रोजमर्रा में भी चलते फिरते नमन करते हैं.
सरना स्थल पर नियमित पूजा करें आदिवासी समाज
सरना स्थल पर प्रत्येक दिन पूजा नहीं करने से अतिक्रमण की समस्या हो जाती है. अपने कुलदेवता की/ सरना स्थल पर नियमित पूजा करें आदिवासीगण. समय के साथ आप सभी को चलना होगा, प्रकृति को बचाने के लिए सजग रहना होगा.
ग्लोबल वार्मिंग के युग मे प्रकृति को अक्षुण्ण रखना चुनौती
ग्लोबल वार्मिंग का समय है. सभी अदिवासी को पर्यावरण का संरक्षण करना होगा. आदिवासी जो प्रकृति की पूजा करते हैं. यह एक चुनौती है. सभी को सचेत रहना होगा, सजग होना होगा.
शिक्षा ही विकास की सबसे अहम कड़ी
शिक्षा पर जोर देते हुए राज्यपाल ने उपस्थित आदिवासी महिला-पुरूष से कहा कि शिक्षा अनिवार्य है, गांव के पिछड़े को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा. शिक्षा ही पिछड़ेपन को दूर करेगा तथा शिक्षा ही विकास की कुंजी है.
संस्कृति, परंपरा को अक्षुण्ण रखना सबकी जवाबदेही
राज्यपाल ने कहा कि हमारी भाषा, परंपरा, संस्कृति सभी से अलग है. पिछड़े लोगों के प्रति हमारी निरंतर सोच रहती है.
झारखंड वीर सपूतों की धरती है.बिरसा, सिदो-कान्हू, बुधु भगत, तिलक मांझी जैसे वीर की भूमि है. हमे गर्व होना चाहिए, सभी वीर आदिवासी हैं. हमे भाषा, संस्कृति, परंपरा के लिए कार्य करना होगा
आस्था का केंद्र लुगु बुरु जरूर आएं
राज्यपाल ने आस्था का केंद्र लुगुबुरु में सभी श्रद्धालु को हर बार आकर पूजा अर्चना करने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि लुगुबुरु में अवश्य आएं. विकास अंधविश्वास, सामाजिक कुरीतियों को रोकना होगा.
नियमों का पालन हमे ही करना होगा. स्वयं के ताकत से प्रयास करना होगा. बढ़चढ़कर हिस्सा लें, छूटे हुए को शिक्षा से जोड़ना होगा.
उच्च पद पर आसीन अधिकारी आदिवासी कल्याण में सहयोग करें
झारखंड में कई अधिकारी भी आदिवासी हैं, उन्हें समाज के बीच पहुंच उनके विकास के लिए सोचना होगा. अपने कर्तव्यों का पालन करना होगा. सभी को मिल जुल कर भाषा संस्कृति, को आगे लाना होगा.