रांचीः झारखंड की राजनीति भी अजीब है. राजनीति करने वाले नेता ठीक उसी तरह हैं जिस तरह सुबह में पंछी एक डाल पर बैठा तो शाम में दूसरे डाल पर, फिर दूसरे दिन तीसरे जगह आशियान बनाने की जुगाड़. वर्तमान में यही स्थिति बनी हुई है. कौन किस डाल पर बैठेगा यह बता पाना भी मुश्किल हो गया है. यूं कहें की राष्ट्रीय दल से लेकर क्षेत्रीय दल तक में बोरो प्लेयर की भरमार हो गई है. ये सभी दल बोरो प्लेयर को ही खेवनहार मान रहे हैं. इन्हीं बोरो प्लेयर के भरोसे चुनावी दंगल में फतह हासिल करना भी चाह रहे हैं. खास कर बीजेपी, कांग्रेस, झामुमो और आजसू में बोरो प्लेयर भी भरमार हो गई है.
बोरो प्लेयर की पहली पसंद आजसू
आजसू ने बोरो प्लेयर के लिए अपने दरवाजे पूरी तरह से खोल दिए हैं. सत्ता पक्ष के मुख्य सचेतक सह बीजेपी के विधायक राधाकृष्ण किशोर ने आजसू का दाम थाम लिया. झामुमो के अकील अख्तर भी आजसू का थामन लिया है. कांग्रेस के प्रदीप बलमुचू भी आजसू का दामन थामेंगे. बसपा के कुशवाहा शिवपूजन मेहता सहित कई दलों के नेताओं के बीच आजसू का दामन थामने की होड़ मची हुई है. जिसमें झाविमो की शाबी देवी, राजद के गिरिनाथ सिंह का भी नाम शामिल है.
बीजेपी भी बोरो प्लेयर के जरीए हासिल करना चाहती है अपना लक्ष्य
बीजेपी भी कहीं न कहीं बोरो प्लेयर के जरीए अपना लक्ष्य हासिल करना चाहती है. 2014 में भी झाविमो के छह विधायक बीजेपी में शामिल हुए थे. इसके बाद कांग्रेस के सुखदेव भगत, मनोज यादव, झामुमो के शशिभूषण मेहता, कुणाल षाडंगी और नौजवान संर्घष मोर्चा के भानू प्रताप शाही ने भी बीजेपी का दामन थाम लिया है. इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नराजगी दिख रही है.
झामुमो और कांग्रेस भी पीछे नहीं
झामुमो और कांग्रेस में भी बोरो प्लेयर की तदाद बढ़ती जा रही है. झामुमो में बीजेपी के ताला मरांडी भी शामिल हो सकते हैं. बीजेपी के समीर मोहंती ने झामुमो का दामन थाम लिया है. वहीं कांग्रेस में भी कई बोरो प्लेयर के आने की उम्मीद है. बरही से बीजेपी के उमाशंकर अकेला को कांग्रेस में टिकट भी दे दिया है. विभिन्न विचारधारा वाले दलों के नेताओं के लिए अब कोई नीति सिद्धांत नहीं बल्कि टिकट ज्यादा जरूरी हो गया है.
दलों के जीत का गणित बिगाड़ सकते हैं बोरो प्लेयर
सभी दलों ने विधानसभा चुनाव में अपना परचम फहराने के लिए टारगेट फिक्स कर लिया है. लेकिन दलों के बागी समीकरण बिगाड़ भी सकते हैं. कई बागी वर्षों से अपने क्षेत्र में काम करते हैं. उनकी पकड़ भी मजबूत है. यह स्थिति लगभग सभी पार्टियों में देखने को मिल रही है.
अकील अख्तरः पाकुड़ विधानसभा सीट कांग्रेस के खाते में चले जाने के बाद झामुमो के पूर्व विधायक अकील अख्तर आजसू का दामन थामेंगे.
कुणाल षाडंगीः झामुमो विधायक के बीजेपी में चले जाने के बाद वहीं के बीजेपी नेता समीर मोहंती ने झामुमो का दामन थाम लिया है. अब दोनों आमने-सामने होंगे.
तरूण गुप्ताः बीजेपी से चुनाव लड़ चुके हैं. वे आजसू में शामिल होने वाले हैं. उनका जामताड़ा से तरुण गुप्ता आजसू की टिकट पर चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है.
राधाकृष्ण किशोरः छतरपुर के भाजपा विधायक राधाकृष्ण किशोर पहले ही पर्चा खरीद चुके हैं. पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है. उनका भी आजसू से चुनाव लड़ना फाइनल हो गया है.
अनंत प्रताप देवः भवनाथपुर से बीजेपी नेता सह पूर्व विधायक अनंत प्रताप देव का टिकट पार्टी ने काटकर भानु प्रताप शाही को दे दिया है. अनंत ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.
ताला मरांडीः बोरियो से भाजपा विधायक ताला मरांडी जल्द ही झामुमो में शामिल होने वाले हैं. उनका भी बोरियो से टिकट मिलना लगभग तय है.
बैजनाथ रामः भाजपा के पूर्व मंत्री बैजनाथ राम झामुमो में शामिल होकर लातेहार से टिकट पा चुके हैं.
प्रदीप बलमुचूः कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रदीप बलमुचू का टिकट कटने के बाद आजसू के संपर्क में है. घाटशिला से चुनाव लड़ना चाहते हैं.
सुखदेव भगतः विधायक सुखदेव भगत आज भाजपा प्रत्याशी के रूप में लोहरदगा विधानसभा से अपना नामांकन कर रहे हैं. यहां भी पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध के स्वर उठ सकते हैं.
राजीव कुमारः कांके विधासनसभा से पूर्व डीजीपी राजीव कुमार को टिकट देने से कांग्रेस की प्रखंड कमेटी ने बगावत कर दिया है. कार्यकर्ताओं ने पैसा लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाया है.