रांची: तकनीक के साथ सोशल मीडिया की पहुंच भी लोगों तक बढ़ी है. खासकर युवा वर्ग इससे ज्यादा फ्रेंडली है. युवाओं की बड़ी आबादी अपना अधिक समय सोशल मीडिया को ही दे रही है. व्हाट्सएप, ट्यूटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब सहित अन्य माध्यमों से वे खुद को अपडेट कर रहे हैं. राजनीतिक दल भी इस बात को अच्छी तरह समझ चुके हैं. यही कारण है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया का जमकर उपयोग हो रहा है. इस प्लेटफॉर्म पर दलों की ओर से अलग प्रचार-प्रसार का काम चल रहा है. इसके माध्यम से वोटरों को टारगेट किया जा रहा है. सोशल मीडिया को हैंडिल करने के लिए हर राजनीतिक दलों ने प्रोफेशनल्स रखे हुए हैं.
सोशल मीडिया के फायदे
प्रोफेशनल्स का कहना है कि सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी बातें कोई भी चंद मिनटों में लोगों तक पहुंचा सकता है. आज अधिकतर लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं. इसमें युवाओं की संख्या अधिक है. स्मार्टफोन ने इसे और आसान बना दिया है. इससे एक-दूसरे तक बात पहुंचाना भी आसान है. राजनीतिक दलों को भी अपनी बातें लोगों तक पहुंचाने के लिए यह सस्ता, सुलभ और तेज माध्यम नजर आ रहा है.
अलग प्रकोष्ठ का गठन
इसकी महत्ता को देखते हुए राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया का अलग प्रकोष्ठ तक बना रखा है. इसका प्रभारी भी नियुक्त कर रखा है. वे इसी प्लेटफॉर्म पर प्रचार-प्रसार का काम देखते हैं. इस चुनाव में अधिकतर दल इसका जमकर प्रयोग कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं की बदौलत जन-जन तक अपनी बातें पहुंचा रहे हैं. कई दलों ने इसकी कमान प्राइवेट एजेंसी को दे दी है.