खास बातें:-
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जिसने झारखंडवासियों के हेल्थ का ख्याल रखा, उनकी खिसक गई कुर्सी
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वर्तमान में रामचंद्र चंद्रवंशी है हेल्थ मिनिस्टर, विश्रामपुर सीट से लड़ रहे हैं चुनाव, कुर्सी बचाकर परंपरा को तोड़ने की है चुनौती
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स्पीकर की कुर्सी पर बैठने वालों की भी राह आसान नहीं रही, क्या स्पीकर दिनेश उरांव जीत का सेहरा बांध पाएंगे
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सिर्फ सीपी सिंह ने ही कुर्सी पर रहते हुए अगले चुनाव में जीत हासिल की थी
रांचीः झारखंड के नेताओं को अंधविश्वास का भूत डरा रहा है. खास कर सत्ता पक्ष के नेताओं को इस अंधविश्वास से बाहर निकलना चुनौती बन गई है. राज्य गठन के बाद से जितने भी विधानसभा चुनाव हुए, उसमें कई अंधविश्वास ने गहरी पैठ बना ली. सबसे पहले बात करें हेल्थ की. राज्य गठन से लेकर अब तक जिसने भी झारखंड़वासियों के हेल्थ का ख्याल रखा, उनकी हेल्थ ही बिगड़ गई. यूं कहें कि उनकी कुर्सी ही खिसक गई. अगले चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. राज्य गठन के बाद से जितने भी चुनाव हुए उसमें यही परंपरा चली आ रही है. वर्तमान में रामचंद्र चंद्रवंशी हेल्थ मिनिस्टर हैं. वे विश्रामपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. उनके सामने कांग्रेस के दिग्गज नेता चंद्रशेखर दूबे हैं. चुनाव दिलचस्प होने की संभावना है. अब देखना है कि क्या रामचंद्र चंद्रवंशी इस परंपरा को तोड़ पाएंगे.
दिनेश षाडंगी से लेकर राजेंद्र सिंह तक हारे
झारखंड के पहले हेल्थ मिनिस्टर दिनेश षाड़ंगी बने. वे भी अगले चुनाव में हार गए. इसके बाद भानु प्रताप शाही, हेमेन्द्र प्रताप देहाती, बैद्यनाथ राम, हेमलाल मुर्मू और राजेन्द्र प्रसाद सिंह हेल्थ मिनिस्टर बने, सभी अगले चुनाव में हार गए. इस बार फिर तीन पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बैद्यनाथ राम, भानु प्रताप शाही और राजेन्द्र प्रसाद सिंह मैदान में हैं. हालांकि सबकी नजर वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी की सीट बिश्रामपुर पर टिकी हुई है. देखना यह है कि क्या रामचंद्र चंद्रवंशी इस अंधविश्वास से बाहर निकल पाएंगे.
स्पीकर की कुर्सी पर बैठने वालों की भी राह आसान नहीं
राज्य गठन के बाद से स्पीकर की कुर्सी पर बैठने वालों के लिए भी राह आसान नहीं है. सिर्फ सीपी सिंह ने ही स्पीकर रहते हुए अगले चुनाव में जीत हासिल की थी. जब एमपी सिंह विधानसभा अध्यक्ष थे. जमशेदपुर पश्चिम से सरयू राय के चुनाव लड़ने के कारण एमपी सिंह को टिकट नहीं मिला. नाराज विधानसभा अध्यक्ष ने राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए. इसी तरह 2009 के चुनाव में आलमगीर आलम सिटिंग विधानसभा अध्यक्ष के रूप में पाकुड़ से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें भी हार नसीब हुई. 2014 के चुनाव में स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता देवघर की सारठ सीट से चुनाव हार गए. अब देखना यह है कि सिसई विधानसभा से स्पीकर दिनेश उरांव जीत का सेहरा बांध पाएंगे या नहीं.