रांची: 29 नवम्बर को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानि जुलाई सितंबर में जीडीपी की वृद्धि दर के आंकड़े जारी होने वाले हैं. केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा हर तिमाही विकास दर के आंकड़ों को जारी किया जाता है. पहली तिमाही के ग्रोथ दर के नम्बर 30 अगस्त को जारी किये गये थे. 5 प्रतिशत की विकास दर जो 6 सालों की सबसे कमजोर वृद्धि रही थी के जारी होने के बाद सरकार हरकत में आयी और आर्थिक जगत मे कमजोर जीडीपी बढ़त को लेकर कई बहसें हुई.
एक साल मे जीडीपी नें 3 प्रतिशत की गिरावट से चिंतित सरकार ने प्रोत्साहन के कई कदम उठाये. सरकार की ओर से कम्पनियों के कारपोरेट टैक्स में 20 बिलियन डालर की छूट की घोषणा, इस आशा में की गयी कि नये निवेश आयेंगे. आरबीआई भी मौद्रिक नीति की पांच बैठकों में कुल 110 आधार अंकों की कटौती ब्याज दरों में कर डाली. सेंट्रल बैंक और सरकार के वित्तीय पहल कदमी से यह उम्मीद बंधी थी कि दूसरी तिमाही मे विकास दर में तेजी आयेगी.
आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला ने कहा कि आर्थिकी के तमाम संकेतकों से यह अनुमान लगाना सरल हो गया है कि सितंबर तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर और ज्यादा कमजोर रहने वाली है. उन्होंने बताया कि देश की सबसे बड़ी बैंक एसबीआई ने सितंबर तिमाही के लिये विकास दर का अनुमान 4.2 प्रतिशत रहने का लगाया है. एशियन डेवलपमेंट बैंक, वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ और आर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक को ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट जैसे वित्तीय संस्थानों ने भी भारत के लिए अपने अपने पूर्व अनुमानों को घटाया है.
सूर्यकांत शुक्ला ने बताया कि इन अनुमानों पर विश्वास करने के वाजिब कारण भी हैं. उन्होंने बताया कि अर्थव्यवस्था का घटक इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में अगस्त और सितंबर माह में क्रमशः 1.4 प्रतिशत और 4.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. कर्ज ऊठाव में धीमी बढ़ोतरी उद्योग और सेवा के क्षेत्र में अच्छे संकेत नहीं है. अप्रत्यक्ष तौर प्रत्यक्ष करों के संग्रह में कमजोरी भी कमजोर मांग को ही इंगित करती है. निवेश को मापने का सूचक कैपिटल गुड्स प्रोडक्शन में सितम्बर माह में 20.7 प्रतिशत की गिरावट से विकास दर के कमजोर रहने का संकेत मिल रहा है.
नयी परियोजनाओं की घोषणा में भी कमी रिकॉर्ड की गयी है. देश की अर्थव्यवस्था अभी भी कमजोर निवेश और घरेलू मांग में कमी से जूझ रही है. जो संकेतक अर्थव्यवस्था में मिले हैं. उनसे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि जीडीपी की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत के आसपास ही रहेगी और पहले की अपेक्षा कमजोर रहेगी. कमजोर जीडीपी नम्बर के फलस्वरूप डॉलर के मुकाबले रूपया कमजोर हो जायेगा.
झारखंड मे पहले चरण के चुनाव के ठीक एक दिन पहले धीमी होती जा रही इकोनॉमी के आंकड़ों से मतदान में असर पड़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.