हजारीबाग: ‘हमारे देश में लिंग आधारित भेदभाव व्यापक स्तर पर काम कर रहा है. जन्म से लेकर मौत तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक हर जगह लैंगिक भेदभाव साफ- साफ देखने को मिलता है. लैंगिक समानता के लिए महिलाओं को आगे आना होगा.’ उक्त बातें स्थानीय मार्खम कॉलेज स्थित विवेकानंद सभागार में दर्शनशास्त्र एवं समाजशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित मार्खम मेमोरियल पॉपुलर लेक्चर सीरीज के तहत ‘लिंग समानता और आधुनिक जीवन पद्धति : संभावनाएं एवं चुनौतियां’ विषयक एक दिवसीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि विनोबा भावे विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ कुनुल कंडीर ने कही.
उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता का नहीं होना ही समाज में असंतुलन और अपराध को जन्म देता है. संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ केपी शर्मा ने कहा कि समाज एवं राष्ट्र में संतुलन के लिए लैंगिक समानता की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता लाने की शुरुआत हमें सबसे पहले अपने घर से करनी होगी.
समाज के बुनियादी ढांचे को बदलकर दकियानूसी सोंच को खत्म कर लैंगिक समानता लाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि पितृसत्तात्मक समाज ही लैंगिक समानता में सबसे बड़ा अवरोधक है. यदि लैंगिक समानता के स्तर को उठाना है तो यह जरूरी है कि समाज की इस मानसिकता में परिवर्तन लाया जाए. अपने अध्यक्षीय संबोधन में कॉलेज के प्राचार्य डॉ बिमल कुमार मिश्र ने कहा कि महिलाएं सृष्टिकर्ता हैं, पुरुषों में सोंच परिवर्तन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता लाने के लिए मातृसत्तात्मक समाज की ओर बढ़ना होगा, वरना यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलता ही रहेगा.
संयुक्त राष्ट्र के अंतर्गत 17 सतत विकास लक्ष्यों में लैंगिक समानता को शामिल किया गया है. विषय प्रवेश कराते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ सुरेंद्र बरई ने कहा कि लैंगिक असमानता मानवीय देन है, इसमें भ्रूण हत्या प्रमुख कारण है. संगोष्ठी की शुरुआत ए एफ मार्खम की तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित करके किया गया. संगोष्ठी में अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया गया. मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता को सम्मानित स्मृति चिन्ह देकर किया गया. मंच संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के शिक्षक डॉ रंजीत कुमार एवं धन्यवाद ज्ञापन कॉलेज के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ अजित कुमार पाठक ने किया.
इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. एस के सिंह, डॉ रामजी सिंह, डॉ. एन के मेहता, डॉ बी के विश्वकर्मा, डॉ ए पाठक, डॉ. जी एस पांडेय, प्रो विष्णु शंकर, प्रो डी के मिश्रा समेत कई शिक्षक, कर्मचारी एवं काफी संख्या में विद्यार्थीगण उपस्थित थे. संगोष्ठी में एनसीसी एवं एनएसएस के छात्रों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया.