रांची: खूंटी विधानसभा सीट के लिए दूसरे चरण में 7 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे. भाजपा प्रत्याशी सिल्वर जुबली मनाने मैदान में हैं. झाविमो और झामुमो उन्हें रोकने एवं खुद विजय का सेहरा पहनने की जुगत में लगे हैं. कांग्रेस इस बार चुनाव मैदान में नहीं है. गठबंधन के तहत यह सीट झामुमो के खाते में आई है. इसके अलावा भाजपा के दिग्गज नेता कड़िया मुंडा के पुत्र अमरनाथ मुंडा के झामुमो में शामिल हो जाने से भाजपा को नुकसान हो सकता है. यह चुनाव परिणाम आने पर ही पता चल पाएगा कि मतदाताओं की कृपा नीलकंठ पर बनी रही, बारला पर उन्होंने दया किया या सुशील को पसंद.
लोकसभा चुनाव में पीछे
खूंटी सीट पर भाजपा के प्रत्याशी अर्जुन मुंडा जीते थे. उन्हें 381193 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी कालीचरण मुंडा को 381193 वोट मिले. दोनों के बीच जीत का अंतर महज 1445 वोट रहा था. हालांकि खूंटी विधानसभा से भाजपा को अपेक्षाकृत कम वोट मिले थे.
ये हैं प्रत्याशी
झामुमो से सुशील पाहन उर्फ सुशील कुमार लौंग, भाजपा से नीलकंठ सिंह मुंडा, झाविमो से दयामनी बारला, भारतीय ट्राईबल पार्टी से डॉ मीनाक्षी मुंडा, एपीआई से कल्याण नाग, निर्दलीय उम्मीदवार मसीह चरण मुंडा, पंकज पूर्ति, पास्टर संजय कुमार तिर्की, झापा एनोस गुट से राम सूर्या मुंडा, बसपा से सोमा कैथा, जदयू से श्यामसुंदर कच्छप, अखिल भारतीय झारखंड पार्टी से विल्सन पूर्ति.
अब तक के विधायक
इस सीट से कांग्रेस ने सात बार जीत हासिल की. भाजपा ने चार, झारखंड पार्टी (झापा) ने तीन और जनता पार्टी ने एक बार विजय प्राप्त की. वर्ष 1952, 1957 तथा 1962 में झापा के प्रत्याशी क्रमश: लुकस मुंडा, वीरसिंह मुंडा और फूलचंद कच्छप ने जीत हासिल की. 1967 में कांग्रेस के टी मुचिराय मुंडा विधायक बनें. 1969 और 1972 में भी कांग्रेस के टी मुचिराय मुंडा ने जीत दर्ज की. 1977 में जनता पार्टी के प्रत्याशी खुदिया पाहन जीते. 1980 में कांग्रेस के सामू पाहन ने जीत दर्ज की. 1985, 1990 और 1995 में सुशीला केरकेट्टा जीतीं. वर्ष 2000, 2004, 2009 और 2014 में नीलकंठ सिंह मुंडा ने जीत हासिल की.