खास बातें:-
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ईवीएम के विशेषज्ञों का एक बड़ा दल जिसमें करीब 30 विशेषज्ञ शामिल थे बैंगलोर और भोपाल से रांची आये थे
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प्रतुल शाहदेव बतायें कि इंजीनियरों ने अगले 2 चरण के चुनाव में उपयोग में लाये जाने वाले
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ईवीएएम और वीवीपैट के साथ क्या किया है
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मेरे ऊपर आरोप लगाने के पहले प्रतुल सहदेव को ये सवाल रघुवर दास से करना चाहिए
रांचीः अब पूर्व मंत्री सरयू राय ने अपने तेवर और तल्ख कर लिए हैं. उन्होंने भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव और प्रशासनिक अफसरों को निशाने पर लिया है. प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव मेरी जिस जानकारी को झूठा बता रहे हैं, उसके बार में मैं यह कहना चाहता हूं कि यदि मेरी यह सूचना सही नहीं है तो मैं कोई भी सजा भूगतने के लिए तैयार हूं.
सरयू राय ने कहा कि भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव के दो वक्तव्य रविवार को समाचार पत्रों में छपे हैं. पहले समाचार में उन्होंने ईवीएम हैकर्स के होटल में ठहरे होने के बारे में मेरे द्वारा राज्य निर्वाचन पदाधिकारी को दूरभाष पर दी गयी जानकारी है. जिसे शाहदेव ने झूठा बताया. इसके बाद में उन्होने कहा कि जिस हेमंत सोरने को मैंने पूर्व में भ्रष्टाचारी बताया था उसी का प्रचार करने दूमका जा रहा हूं.
अब सरयू राय ने इस संबंध में रखा है अपना पक्ष
पूर्व मंत्री सरयू राय ने बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव के बयान को निशाने पर लेते हुए अपना पक्ष रखा है कहा है कि ईवीएम के विशेषज्ञों का एक बड़ा दल जिसमें करीब 30 विशेषज्ञ शामिल थे. बैंगलोर और भोपाल से रांची आए थे. इसकी जानकारी बंग्लुरू के मेरे एक मित्र द्वारा मुझे दी गयी थी, जिसकी जानकारी मैंने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी विनय कुमार चौबे को दी थी.
इसके बाद विनय कुमार चौबे ने भी अखबारों में अपना वक्तव्य दिया कि मेरे द्वारा दी गयी जानकारी सही नहीं है, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों ने मुझे बताया है कि 30 के करीब ईवीएम के विशेषज्ञों का एक दल जिसमें इलेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर और तकनीशियन भी शामिल हैं.
चार दिन पहले रांची आये था और रांची के इमराल्ड एवं अन्य 3 होटल में ठहरे थे. ये सभी ईवीएम विशेषज्ञ इलेक्ट्रोनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से संबंधित हैं, जिसका मुख्यालय बंग्लुरू में है.
इसकी जानकारी चुनाव आयोग को भी है
पूर्व मंत्री ने कहा कि अगले दो चरण में होने वाले चुनाव के ईवीएम और वीवीपैट से संबंधित जानकारी चुनाव आयोग को भी है और रांची जिला के पुलिस पदाधिकारी तथा प्रशासनिक पदाधिकारी को भी है.
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और सत्ताधारी दल के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव को बताना चाहिए कि इलेक्ट्रोनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा भेजे गये इलेक्ट्रोनिक इंजीनियर और तकनीशियनों ने तीन दिनों तक अगले 2 चरण के चुनाव में उपयोग में लाये जाने वाले ईवीएएम और वीवीपैट के साथ क्या किया है.
यदि मेरी यह सूचना सही नहीं है तो इस बारे में राज्य निर्वाचन अधिकारी, रांची की पुलिस और प्रशासनिक पदाधिकारी और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव को इसका खंडन करना चाहिए और गलत करने के लिए माफी मांगनी चाहिए. यदि मेरी यह सूचना सही नहीं है, तो मैं कोई भी सजा भूगतने के लिए तैयार हूं.
हेमंत सोरेन को कभी भी भ्रष्टाचारी नहीं कहा
शाहदेव के दूसरे कथन के बारे में मैं यह बताना चाहता हूं कि पिछले 5 वर्षों में और इसके पूर्व भी मैंने हेमंत सोरेन को सार्वजनिक रूप से कभी भ्रष्टाचारी नहीं कहा है. केवल एक बार मैंने उन्हें कतिपय तथ्यों से अवगत कराया था, जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे.
इसके बारे में उस समय हेमंत सोरेन की सरकार के मंत्री राजेन्द्र सिंह ने इस बारे में मुझे स्पष्टीकरण दिया था. मैंने तो प्रधानमंत्री तक को यह कहा है कि जब कोई व्यक्ति मुझसे यह कहता है कि आपकी सरकार से अच्छा तो हेमंत सोरेन की सरकार थी, तो मुझे शर्मिंदा होना पड़ता है.
सीएम रघुवर दास के खिलाफ भी आरोप लगाया
मैंने मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ भी कई आरोप लगाया है तथा इसकी लिखित जानकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और संगठन मंत्री को दिया है.
उसके बारे में भी प्रतुल शाहदेव को कुछ कहना चाहिए. शाहदेव को अपनी याददाश्त पर जोर डालने की नसीहत देते हुए कहना चाहता हूं कि जिस शिबु सोरेन की सरकार में रघुवर दास उपमुख्यमंत्री थे आज उन्हें ही भ्रष्ट कहते फिर रहे हैं.
2015 तथा 2016 में 2 वर्षों तक कोई भी ऐसा पखवाड़ा नहीं बितता था, जब रघुवर दास मुख्यमंत्री रहते उनका घर नहीं जाते थे और अपने आप को शिबु सोरेन का असली बेटा बताते हुए नहीं थकते थे.
वे कहते थे कि मैं ही शिबू सोरेन का विरासत संभालने वाला असली पुत्र हूं हेमंत सोरेन नहीं. इन 2 वर्षों में एक बार उन्होंने 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता दिवस पर हरी पगड़ी बांधकर राष्ट्रीय ध्वज फहराया.
ये सारी बातें और चित्र अखबार में प्रकाशित हैं. मेरे ऊपर आरोप लगाने के पहले प्रतुल शाहदेव को ये सवाल रघुवर दास से करना चाहिए.