रांची: झारखंड में चार कांग्रेस महिलाओं की जीत से कांग्रेस विधानसभा चुनाव में मजबूत होकर उभरी. विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही ये चारों नाम सुर्खियों में हैं, अंबा प्रसाद, पूर्णिमा नीरज सिंह, दीपिका पांडेय सिंह और ममता देवी.
पहली बार चुनाव जीतने वाली कांग्रेस की यह सेना बड़ी मारक निकली हैं. इनकी जीत के बाद कांग्रेस भी झारखंड में मजबूत होकर उभरी है.
अंबा प्रसाद ने बड़कागांव में आजसू और भाजपा को हराया है. पूर्णिमा नीरज सिंह और दीपिका सिंह ने क्रमशः झरिया तथा महगामा में भाजपा से सीट छीनी है, जबकि ममता देवी ने रामगढ़ में आजसू का किला ध्वस्त किया है.
बड़कागांव में कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी की रैली से पार्टी उम्मीदवार अम्बा प्रसाद का भरोसा बढ़ा. बड़कागांव में मतदान होने के बाद आजसू और अंबा के बीच कांटे की तस्वीर उभरी, लेकिन जब वोटों की गिनती शुरू हुई, तो अंबा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें 99 हजार 994 वोट मिले हैं और रोशनलाल चौधरी से वे 31 हजार 514 वोटों के अंतर से जीती हैं.
इधर, झरिया में पूर्णिमा नीरज सिंह ने भाजपा से सीट छीनी है और ’कुंती निवास’ का राजनीतिक वर्चस्व भी कमजोर कर दिया है. पूर्णिमा नीरज सिंह ने भाजपा की रागिनी सिंह को 12 हजार 54 वोट से हराया है. पूर्णिमा सिंह को 79 हजार 786 वोट मिले हैं.
रागिनी सिंह 2014 में चुनाव जीते संजीव सिंह की पत्नी हैं. साथ ही पूर्णिमा की चचेरी गोतनी भी हैं. संजीव सिंह पूर्णिमा के पति और धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं. इससे पहले संजीव सिंह की मां कुंती देवी भी झरिया से भाजपा के टिकट पर 2009 में चुनाव जीती थी. इस बार झरिया में भाजपा अपनी जीत बरकरार रखने के लिए कोई दांव खाली जाने नहीं देना चाहती थी. लेकिन भाजपा को सफलता नहीं मिली.
महगामा से चुनाव जीती दीपिका सिंह पांडेय राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ी रही हैं. युवा कांग्रेस और राहुल ब्रिगेड में भी अहम जिम्मेदारी संभालने का उन्हें अनुभव रहा है. वे गोड्डा जिला कांग्रेस की अध्यक्ष भी रही हैं. अभी भारतीय महिला कांग्रेस में सचिव की पद पर तैनात दीपिका सिंह पांडेय रांची की बेटी हैं और रांची में संत जेवियर कॉलेज तथा एक्सआइएसएस से पढ़ी हैं.
महगामा से चुनाव लड़ने के लिए वे काफी पहले से जमीनी संघर्ष कर रही थी और जब कांग्रेस ने उम्मीदवार घोषित किया, तो वे समीकरणों के सारे तार जोड़ने में तल्लीनता से जुड़ गई. स्थानीय सवालों को लेकर महिलाओं के बीच लगातार उनकी मौजूदगी का भी असर रहा. 89 हजार 225 और बीजेपी के अशोक मंडल को 76 हजार 725 वोट मिले हैं.
वर्ष 2016 में ममता देवी ने जब कांग्रेस का दामन थामा था, तो रामगढ़ की सियासत में हलचल होने लगी थी कि इस बार वे आजसू के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी. रामगढ़ को आजसू का अभेद्य किला माना जाता है.
2005, 2009, 2014 में लगातार जीत के बाद चंद्रप्रकाश चौधरी राज्य की राजनीति में स्थापित होते रहे हैं. हर चुनाव में चंद्रप्रकाश चौधरी का वोट भी बढ़ता गया. ममता देवी को रिकॉर्ड 99 हजार 944 आजसू पार्टी की सुनिता चौधरी को पराजित किया.