पटना: कहते है की प्रशव की पीड़ा में कई हड्डियों के एक साथ टूटने जितना असहनीय दर्द होता है . ऐसे में महिला जब लेबर रूम में अकेली इस पीड़ा को सहती है तो उसे अकेलेपन का एहसास होता है. पर अब बिहार स्वास्थ्य विभाग ने बड़ा फैसला करते हुए कहा है कि अब सरकारी अस्पतालों में पति भी प्रसव के दौरान पत्नी का साथी बन सकता है. संस्थागत प्रसव को और सुरक्षित बनाने के लिए कई स्तरों पर लगातार काम हो रहा है. इस कड़ी में शिशु जन्म के समय का साथी बनाने के लिए पति को उपयुक्त माना गया है.
स्वास्थ्य विभाग ने इसे बड़े पैमाने पर प्रचारित करने का कार्यक्रम कर रहा है. दरअसल, संयुक्त परिवारों के टूटने से प्रसव के दौरान परिवार की दूसरी महिलाओं की उपस्थिति धीरे-धीरे कम होती जा रही है. जिसको देखते हुए स्वास्थय विभाग ने प्रसव पीड़ा के दौरान जच्चा के धैर्य और हौसला आफजाई के लिए पति को भी रहने की छूट दी गई है.
वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि घर और परिवार से दूर नौकरी करने के कारण अधिकांश युवा अपने परिवार और सगे संबंधियों से दूर हो रहे हैं. इस वजह से परदेश में प्रसव के दौरान साथ देने वाली महिला का मिलना असंभव हो जाता है. ऐसे में प्रसव के दौरान और गर्भधारण के हफ्तों में पत्नी की देखरेख के लिए नौ बिन्दुओं और नवजात को पांच बिन्दुओं पर देखने की गाइडलाइन बनी है. स्वास्थय विशेषज्ञों का तर्क है कि शिशु जन्म का अनुभव कर रही महिला का पति लगातार उसका हौसला बढ़ा सकता है.