पंजाब (चंडीगढ़): यह एक ऐसा घोटाला है, जहां संस्थान कागजों में चलते रहे और फर्जी छात्र पढ़ रहे. विजिलेंस ब्यूरो ने अब इस छात्रवृत्ति घोटाले की परतें उखाड़नी शुरू कर दी हैं. यह घोटाला हरियाणा के कई जिलों में वर्षों से जारी था. इसमें सरकार को करीब 43 करोड़ रुपए का चूना लगाया जा चुका है.
अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए शुरु की गई छात्रवृत्ति योजना लंबे समय से विवादों के घेरे में रही है. घोटाला उजागर होने के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने कई अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं. खट्टर सरकार ने गड़बड़ी रोकने के लिए इस योजना को ऑनलाइन कर दिया, लेकिन फिर भी भ्रष्टाचार को रोका नहीं जा सका. इसके बाद घोटाले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी गई.
समाज कल्याण विभाग के महानिदेशक रहते आईएएस अफसर संजीव वर्मा ने यह घोटाला पकड़ा था. विजिलेंस ब्यूरो ने जांच के दौरान पाया कि 30 फीसदी संस्थान कागजों में हैं और 40 फीसदी छात्र फर्जी हैं.
जांच में पाया गया कि हरियाणा के भिवानी, हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, दादरी, सोनीपत, रोहतक और झज्जर जिलों तक नकली संस्थानों और फर्जी छात्रों का मकड़जाल फैला हुआ है.
घोटाले को अंजाम देने के लिए युवाओं से दस्तावेज लेकर उनके नाम पर बैंकों में खाते खुलवाए गए. दूसरे प्रदेशों के शिक्षण संस्थानों में झूठे दाखिले दिखा कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया गया.
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है, ‘कई अफसरों और कर्मचारियों के साथ ही दूसरे लोगों पर भी एफआईआर दर्ज करवाई गई हैं. दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के साथ ही उनसे पूरी राशि वसूल की जाएगी.