रांची : नऐ सपने, नई सोच, नया अध्याय, नई उम्मीदें पाल बैठा हूं,
जो गुजर गया उसे लम्हा समझ, फिर से नई आस लगा बैठा हूं.
उम्मीदों पर ही दुनिया कायम है. झारखंड में सरकार परिवर्तन के साथ ही उम्मीदों का ज्वार तूफान मारने लगा है. आपार उम्मीदों के बोझ तले सफल खिलाड़ियों को भी असफल होते देखा गया है. उम्मीद है हेमंत सोरेन की सरकार आगामी 5 वर्षों में झारखंड के युवाओं के आशाओं के अनुरूप कार्य करेगी और उनके सपनों को साकार करने में सहयोग करेगी.
बेरोजगारी दरः
देश में बेरोजगारी दर 6.1% के साथ पुन: एक बार चरम पर है. बेरोजगारी ही नहीं उचित रोजगार एवं पर्याप्त मानदेय भी आज के दिनों में युवाओं के लिए एक प्रमुख समस्या है. अनेक युवा आज काम चलाऊ नौकरी कर अच्छे नौकरी की तलाश में हैं. विगत दशक में गैर सरकारी नौकरी के प्रति रुझान काफी बढ़ा था परंतु डिमॉनेटाइजेशन के बाद स्थिति में परिवर्तन के कारण पुणः एक बार सरकारी नौकरी का आकर्षण बढ़ गया है. क्योंकि वे इसे अधिक सुरक्षित मानते हैं.
राष्ट्रीय : 6.1%
मेघालय :1.5%
छत्तीसगढ़ :3.3%
पश्चिम बंगाल:4.6%
ओडिशा :7.1%
बिहार :7.2%
झारखंड 7.8%
रिक्त पदों का अंबार
झारखंड में शिक्षा हो या स्वास्थ्य या फिर दिव्यांगजनों का पुनर्वास या पुलिस का पद, सभी जगह औसतन 42% से ज्यादा स्वीकृत पद रिक्त पड़े हैं. इसका दुष्परिणाम बेरोजगारी के साथ-साथ आधारभूत सेवाओं पर भी पड़ रहा है. कर्मियों के कमी के कारण सरकारी सेवाएं जनता को सही तरीके से उपलब्ध नहीं हो पाती, जिसका खामियाजा अंततः सरकार को ही झेलना पड़ता है.
निर्वतमान रघुवर सरकार 5 वर्षों में जेपीएससी के मुख्य परीक्षा के तहत बहाली नहीं कर पाई. उम्मीद है नई सरकार राज्य स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों की बहाली इस परीक्षा के माध्यम से नियमित रूप से करेगी. जनता के सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए आरक्षियों, स्वास्थ्य कर्मियों, शिक्षकों और विशेष शिक्षकों की बहाली भी यथा शीघ्र होगी.