रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आरएस कुरील ने सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि राज्य की करीब 76 फीसदी आबादी गांवों में रहती है. कुल श्रमशक्ति का लगभग 67 फीसदी कृषि पर आश्रित है. कृषि कार्य को लाभकारी स्वरूप देने, ग्रामीण युवक–युवतियों के लिए स्वरोजगार सृजन आधारित कार्यक्रम, ग्रामीण आबादी की आजीविका एवं पोषण सुरक्षा आदि विश्वविद्यालय की प्रमुख चुनौतियां हैं.
कुलपति ने कहा कि राज्य में करीब 75-80 लाख टन खाद्यान आवश्यकता की जगह करीब 50-55 लाख टन खाद्यान का उत्पादन होता है. 20-25 लाख टन खाद्यान की कमी को पूरा करने के लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा किसान एवं राज्य हित में लघु एवं दीर्घ कालीन शोध कार्य को प्राथमिकता, सोयाबीन, मड़ुआ, तीसी एवं संकर धान की दो किस्मों का विकास, टांड़ भूमि में धान की जगह रागी, सोयाबीन एवं उरद की खेती को बढ़ावा, धान की परती करीब 14.60 लाख हेक्टेयर भूमि में सरसों, तीसी एवं चना की खेती को बढ़ावा, उलीहातु गांव में 27 लाभकारी कार्यक्रमों का कार्यान्वयन और राज्य के अन्य 40 आदिवासी बहुल गांवों में लाभकारी तकनीकों को बढ़ावा प्रमुख उपलब्धियां है.