नई दिल्लीः चीन के इस्लाम विरोधी रवैये के आगे पाकिस्तान के समक्ष सांप और छुछुंदर की स्थिति उत्पन्न हो गई है.
सांप और छछुंदर की लड़ाई में सांप गहरे धर्मसंकट में घिर जाता है. वह छछुंदर को न तो निगल पाता है और न ही उगल पाता है.
बताया जाता है कि सांप अगर छछूंदर को खा जाए तो मरने का खतरा और पकड़ कर छोड़ दे तो अंधा होने का अंदेशा रहता है.
ऐसा ही कुछ पाकिस्तान के साथ हो रहा एक तरफ पाकिस्तान खुद को पूरी दुनिया के मुसलमानों की आवाज के रूप में स्थापित करने की कोशिश में है और इसी कोशिश में वह भारत के मुसलमानों की खैरख्वाही का भी कोई मौका नहीं गंवाना चाहता.
लेकिन जब चीन अपने देश में रहने वाले मुसलमानों की धार्मिक आजादी पर लगातार अंकुश लगाता जा रहा है तो इमरान खान के पास चुप्पी साधने के अलावा कोई चारा नहीं बच रहा है.
‘आसमानी किताब’ कुरान में भी चीन की सरकार ने अपने अनुरूप की फेरबदल
इस्लाम पर लगातार पहरा बिठाने की कड़ी में चीन में हाल में एक नया आदेश जारी हुआ है, जिसके अनुपालन में मुसलमानों की ‘आसमानी किताब’ कुरान में भी वहां की सरकार की नीतियों के अनुरूप फेरबदल किया जा सकेगा.
हैरत की बात यह कि इस मुद्दे पर भी इमरान खान के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था. चीन को लेकर इमरान की इस खामोशी पर पाकिस्तान में ही उनके खिलाफ आवाज उठना शुरू हो गई है.
शाहिद अफरीदी ने भी चीन के मुस्लिमो के लिए किया था ट्वीट
मशहूर क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने पिछले हफ्ते ट्वीट किया था, ‘उईगर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार की खबरों से दिल दुखी है.
मैं प्रधानमंत्री इमरान खान से अपील करता हूं कि वो इस बारे में जरूर बोलें. जब हम दुनियाभर के मुस्लिमों के बीच एकता की बात करते हैं तो इसमें हमारे चीन में रहने वाले उईगर भाई और बहनें भी शामिल हैं.
मैं चीनी दूतावास से भी अपील करता हूं कि वो इस मसले पर मानवता का परिचय दें और वहां के मुस्लिमों के साथ उचित व्यवहार करें.’
इस ट्वीट पर भी इमरान की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. उल्टे चार दिनों के भीतर अफरीदी को यह ट्वीट डिलीट करना पड़ा.
इससे उनके ऊपर पड़ने वाले दबाव का अंदाजा लगाया जा सकता है. इससे पहले दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों के लिए अमेरिका के विदेश मंत्रालय की राजदूत एलिस वेल्स भी यह सवाल कर चुकी हैं कि इमरान खान केवल कश्मीर के मुसलमानों की चिंता क्यों करते है, उन्हें चीन के मुसलमानों की चिंता क्यों नहीं है.
हालात बद से बदतर
चीन में मुसलमानों की आबादी लगभग दो करोड़ है. मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट है कि बड़ी तादाद में मुस्लिम परिवारों को हाई-सिक्योरिटी वाले डिटेंशन सेंटरों में भेजा जा चुका है.
पेइचिंग में रेस्त्रां और फूड स्टॉल्स से इस्लाम के प्रतीक चिह्नों और अरबी में लिखी आयतें हटाने को कहा गया है.
मस्जिदों से मध्य-एशियाई शैली में बनी गुम्बदों को भी तुड़वाया जा चुका है. मुस्लिम पुरुषों के लंबी दाढ़ी रखने पर भी रोक लगा दी गई है.
सार्वजनिक जगहों पर मुस्लिम महिलाएं बुरका भी नहीं पहन सकती हैं. और अब तो जो नया आदेश जारी हुआ है, उसमें भले सीधे तौर पर कुरान न लिखा हो लेकिन इशारा कुरान की तरफ ही है.
मीडिया में चीनी अधिकारियों के हवाले से जो खबर आई है, उसके अनुसार ‘ऐसे धार्मिक ग्रन्थों का व्यापक मूल्यांकन समय की मांग है, जो समय में आए बदलाव के अनुरूप नहीं हैं.’
बड़ी संख्या में डिटेंशन सेंटर में हैं मुस्लिम
चीन में मुसलमानों पर इतना कुछ होते हुए भी पाकिस्तान खामोश है. वह चीन के मुसलमानों के प्रति कोई हमदर्दी इसलिए नहीं दिखाना चाहता कि उससे चीन नाराज हो जाएगा.
पाकिस्तान इस वक्त किसी भी कीमत पर चीन को नाराज नहीं कर सकता क्योंकि चीन से मिल रहे कर्ज के सहारे ही पाकिस्तान किसी तरह चल रहा है.
वह चीन के 21 अरब डॉलर का कर्ज है. इसके अलावा चीन पाकिस्तान में निवेश भी कर रहा है. भारत के खिलाफ उसकी बयानबाजी भी चीन से मिलने वाली ‘ताकत’ के ही बल पर है.