रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की करारी हार हुई है. विधानसभा का परिणाम निकले दस दिन से अधिक हो गये. इसके बाद भी पार्टी कोमा से नहीं निकल पाई है. हार के बाद पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने इस्तीफा दे दिया. उसे स्वीकार भी कर लिया गया है.
हालांकि नये प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा अब तक नहीं की गई है. इसे लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति है.
प्रतिपक्ष का नेता भी नहीं घोषित
राज्य में नई सरकार ने सत्ता संभाल लिया है. विधानसभा का सत्र 6 जनवरी से होने वाला है. महज तीन दिन बचे हुए हैं. अब तक भाजपा प्रतिपक्ष के नेता की घोषणा नहीं कर सकी है. प्रतिपक्ष के नेता के रेस में पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा और सीपी सिंह बताये जाते हैं. हालात ऐसे लग रहे हैं कि विधानसभा सत्र में भाजपा बिना प्रतिपक्ष के नेता के ही जाएगी.
मंत्री के नाम पर संशय
भाजपा हारकर कोमा में है. कांग्रेस जीतने और सत्ता में सहभागी होने के बाद भी असमंजस में दिख रही है. कांग्रेस कोटे से डॉ रामेश्वर उरांव और आलमगीर आलम मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं.
इस कोटे से तीन और मंत्री बनाये जाने की संभावना है. पार्टी अब तक उसके नाम तय नहीं कर पा रही है. जीतने वाले अधिकतर विधायक मंत्री बनने के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं. हर किसी के अपने-अपने तर्क हैं.
आलाकमान की माला
भाजपा और कांग्रेस के पदाधिकारी प्रदेश स्तर पर निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं. इनके पास आलाकमान की माला है. ऐसे मामलों पर उनका तर्क है कि निर्णय आलाकमान लेंगे.
अब फुर्सत होने के बाद भाजपा के आलाकमान प्रदेश अध्यक्ष और प्रतिपक्ष के नेता का चयन करेंगे और कांग्रेस अपने मंत्रियों को.