वॉशिंगटनः जनरल सुलेमानी की हत्या के बाद अमेरिका और ईरान में छिड़ सकता है भयंकर साइबर वॉर.
ईरान के हैकर होने का दावा करने वाले एक समूह ने एक अमेरिकी सरकारी एजेंसी की वेबसाइट हैक कर ली और शीर्ष ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने का संकल्प लेते हुए एक संदेश इस पर पोस्ट किया.
दरअसल, ईरान की दूसरी सबसे बड़ी शख्सियत जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हमले में मौत के बाद दोनों देशों के बीच आगे का संघर्ष कौन सा रूप अख्तियार करेगा, इसे लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
पिछले एक दशक पर नजर डालें तो ईरान और अमिरेका के बीच जब-जब तल्खी बढ़ी तब-तब दोनों देशों ने एक-दूसरे पर साइबर अटैक करके ही अघोषित संघर्ष विराम किया. लेकिन इस बार मामला बेहद गंभीर है, इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों देशों के बीच वास्तविक साइबर वॉरफेयर छिड़ सकता है.
‘फेडरल डिपोजिट्री लाइब्रेरी प्रोग्राम’ की वेबसाइट पर हैकरों ने ‘ईरानियन हैकर्स’ नाम से पेज डाला और उस पर ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनी और ईरानी झंडे की तस्वीर लगा दी. हैकरों ने वेबसाइट पर लिखा, ‘(सुलेमानी के) अथक प्रयासों का पुरस्कार शहादत थी.
‘ वेबसाइट पर लिखा गया, ‘उनकी रवानगी और ईश्वर की ताकत से उनका काम और मार्ग बंद नहीं होगा और उनके एवं अन्य शहीदों के खून से अपने गंदे हाथों को रंगने वाले अपराधियों से बदला लिया जाएगा.’ पेज पर सफेद पृष्ठभूमि में कैप्शन लिखा गया, ‘यह ईरान की साइबर क्षमता का एक मामूली हिस्सा है.’ 2010 में स्टक्सनेट अटैक के बाद से ही ईरान अपने साइबर अटैक फोर्सेज को ताकतवर बनाने में बड़ा संसाधन झोंक रहा है. दरअसल, स्टक्सनेट अटैक के दौरान अमेरिका और इजरायल ने ईरान की परमाणु क्षमता को कंप्यूटर वायरस के जरिए कमजोर कर दिया था.
इसके जवाब में ईरान ने अमेरिकी बैंकों और एक छोटे डैम पर साइबर अटैक करके अपनी क्षमता का नमूना पेश किया था हालांकि, तब अमेरिका ने ईरान के इंटेलिजेंस ग्रुप और मिसाइल लॉन्चरों पर अटैक से जवाब दिया था. कुल मिलाकर, दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के खिलाफ जासूसी और नुकसान पहुंचाने का खेल ही चलता रहा है.
अब अमेरिका ने जनरल कासमी को मारकर खेल का नियम ही बदल दिया. एक्सपर्ट्स अंदेशा जता रहे हैं कि अभी ईरान उस जगह चोट करने को बेचैन होगा जिससे अमेरिका कग बुनियादें हिल जाएं. ईरान अपने मकसद में कामयाब रहा तो स्वाभाविक है कि अमेरिका भी मुहंतोड़ जवाब देगा.
ऐसे में आशंका यह बनती है कि ईरान और अमेरिका एक-दूसरे की बड़ी आबादी को बिजली उपलब्ध कराने वाले पावर ग्रिड्स के तंत्र फेल करने जैसी संभावनाएं तलाशने में जुट गए हों. अगर दोनों में किसी के पास या दोनों के पास यह क्षमता है तो तगड़े नुकसान की भरपूर आशंका है.