रांची: रविवार को रांची के चिरौंदी स्थित आशीर्वाद बैंक्वेट हॉल में 11 बजे से झारखंड विकास मोर्चा कि केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक आयोजित की गयी. इस बैठक में झारखण्ड विकास मोर्चा (प्र०) पार्टी के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी द्वारा केंद्रीय कार्यसमिति को भंग करने का निर्णय लिया गया. चुनाव बाद हुए पहली कार्यसमिति की बैठक में मरांडी ने इस आशय का प्रस्ताव लाया. जिसका प्रदीप यादव ने विरोध किया और कहा कि संविधान के अनुसार पार्टी भंग करने का कोई प्रावधान नहीं है. बाद में सर्वसम्मति से पूरी कार्यसमिति ने मरांडी को नए सिरे से पार्टी पुनर्गठन के लिए अधिकृत कर दिया. अब बाबूलाल मरांडी 14 के बाद पार्टी का पुनर्गठन करेंगे. यह जानकारी बैठक के बाद मीडिया ब्रीफिंग में पार्टी के केंद्रीय महासचिव अभय सिंह ने दी.
वहीं अंदरूनी सूत्रों की माने तो यह सब कुछ भविष्य में किसी दूसरी पार्टी में विलय का रास्ता खोल सकता है. क्योंकि झारखण्ड विधानसभा चुनाव परिणाम आने के ठीक बाद जब झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष सह वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बाबूलाल मरांडी से मुलाकात की और आननफानन में बाबूलाल ने भी बिना कोई शर्त उन्हें समर्थन देने की घोषणा की तो कयास लगाया जाने लगा कि शायद झाविमो को भी हेमंत मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. लेकिन हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण में बाबूलाल मरांडी को जिस तरह गठबंधन के नेताओं ने नजरअंदाज़ कर पीछे की पंक्ति में जगह दी, उसके बाद झाविमो पार्टी ने इसपर कड़ी आपत्ति जताते हुए प्रेस कांफ्रेंस कर झामुमो की नियत और मंशा पर सवाल उठाया था. सूत्रों का दावा है की बाबूलाल मरांडी को भाजपा मानाने का प्रयास कर रही है. भाजपा की कोशिश है कि अभी भाजपा नेतृत्व को एक मजबूत आदिवासी चेहरे की जरूरत है ऐसे में भाजपा बाबूलाल मरांडी को अपने पाले में कर हेमंत सोरेन सरकार पर प्रहार करने का प्रयास कर रही है. वहीं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद किसी गैर आदिवासी को देने पर विचार हो रहा है.
साथ ही सोशल मीडिया पर झाविमो नेताओं के कुछ पोस्ट वायरल हो रहे हैं जो बाबूलाल के बीजेपी में जाने के या विलय के संकेत दे रहे हैं. वहीं पार्टी विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव का झुकाव कांग्रेस के तरफ ज्यादा दिखाई दे रहा है. हालांकि पार्टी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपना पत्ता नहीं खोला है, लेकिन वे आनेवाले दिन में कोई न कोई फैसला जरूर लेंगे.