रांची: झारखण्ड और ओड़िशा में स्थित सेल की खदानों ने अपने लौह अयस्क उत्पादन और प्रेषण के पिछले सभी रिकार्ड को पार करते हुए कैलेण्डर वर्ष 2019 के अंत तक क्रमशः 21.99 मिलियन टन (एमटी) तथा 21.68 मिलियन टन (एमटी) का उत्पादन अर्जित करते हुए 5.25 प्रतिशत और 4.62 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.
इस वृद्धि से सेल के पूर्वी क्षेत्र के इस्पात संयंत्रों के लिए बेहतर कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है, जो झारखण्ड और ओड़िशा में सेल के रॉ मेटेरियल्स डिवीजन (आरएमडी) के तहत संचालित खदानों से लौह अयस्क की आपूर्ति प्राप्त करते हैं. आर एम डी खदानों ने 2018 में 7.14 मीट्रिक टन के अपने पिछले रिकॉर्डस को ध्वस्त करते हुए 7.48 मीट्रिक टन के लौह अयस्क लम्प के उत्पादन को प्राप्त किया है.लौह अयस्क लम्प की आपूर्ति में सुधार की प्रक्रिया सेल संयंत्रों के लिए गर्म धातु उत्पादकता में मद्द करता है.
व्यक्तिगत रूप से बोलानी, मेघाहातुबुरू, बरसुआ और काल्टा स्थित सेल की लौह अयस्क खदानों में भी अब तक का सबसे अधिक एकल दिवसीय उत्पादन दर्ज किया गया. चूंकि सेल अपने गर्म धातु उत्पादन को बढ़ा रहा है, इसलिए अपने कैप्टिव स्रोत से लौह अयस्क की आपूर्ति में निरंतर वृद्धि के लिए प्रयासशील है.
लोहे की खदानों के साथ-साथ आर एम डी की कुटेश्वर खदान ने भी 2018 में 40.52 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1360353 मीट्रिक टन का सबसे अच्छा चूना पत्थर का उत्पादन किया गया है. आर एम डी ने आईएसओ प्रणाली को लागू करने की अपनी परिचालन में सुधार किया है. आर एम डी खदानों को आईएसओ 9001ः2015, आईएसओ 14001ः2015 और आईएसओ 45001ः2018 के साथ प्रमाणित किया गया है, जिसने खनन संचालन के साथ-साथ बेहतर पर्यावरण प्रबंधन और व्यावसायिक स्वास्थ्य प्रणाली को सुव्यवस्थित किया है.