रांची: महाराजा अग्रसेन भवन में श्री कृष्ण प्रणामी सेवा समिति द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के व्यासपीठ पर आसिन संत सदानंद महाराज ने व्यासपीठ से कहा भगवान जीवों पर कृपा करने के लिये ही अपने को मनुष्य रूप में प्रकट करते है और ऐसी लीलायें करते है जिन्हें सुनकर जीव भागवत पारायण हो जाता है.
मनुष्य में वे लोग सोभाग्यशाली और कृतार्थ है जो कलियुग में श्री हरि नामों का स्मरण करते है और करवाते है. स्वामी सदानन्द महाराज के सानिध्य में एमआर श्री कृष्ण प्रणामी सेवा धाम ट्रस्ट द्वारा 11 निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह वैदिक रीति-रिवाज के साथ संपन्न हुआ. वर वधु को आशीर्वाद देने के अवसर पर मुख्य अतिथि डा. महुआ मांझी विशिष्ट अतिथि समाज सेवी भागचंद पोद्दार शहर के गणमान्य जन उपस्थित थे.
ट्रस्ट की ओर से सभी वर एवं वधु पक्ष तथ आये हुए सभी के लिये उत्तम भोजन की व्यवस्था की गई थी. महाराज ने सभी जोड़ो को दीर्घ आयु एवं सुख शान्ति का आशीर्वाद दिया. सेवा का यह अनुपम उदाहरण देखकर रांची की जनता प्रसन्न है.
गुरूजी अब तक 4337 निर्धन कन्याओं का विवाह योग्यवर से करवा चुके है. निर्धन कन्याओं का विवाह गुरूजी द्वारा भारत, नेपाल, भूटान आदि देशों में चलाया जा रहा है. प्रति वर्ष 500-1000 कन्याओं का विवाह संपन्न कराते है. गुरूजी कहते है कि दुखियों का दुख हरने वाला सबसे बड़ा महान तथा दुखियों की सेवा करने वाला परमात्मा का सबसे करीबी एवं श्री कृष्ण का साथी होता है. दुखी व्यक्ति की सेवा करने से भगवान खुश होते है. कभी भी किसी व्यक्ति को दुखी मत करो. जीव संसार में अकेला आता है एवं अपना कर्म करके अकेला ही चला जाता है. मानव जीवन इस संसार को पार करने की नौका है.