रांची: टुसु पर्व झारखंड के प्रमुख त्योहारों में से एक है और बड़े ही धूमधाम और उल्लास के साथ माने आजाता है देश में अन्य जगह इस त्यौहार को मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है. टुसु पर्व पुरे महीने चलने वाला पर्व है.
पर्व के अंतिम चार दिन में टुसु बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है ,अगहन पूर्णिमा से लेकर पुष पूर्णिमा तक टुसु का पर्व चलता है, अगहन पूर्णिमा के दिन ही ढकनी शौरा स्तापना कर रोज शाम कगाओं की औरतें और लड़कियां टुसु की आराधना करते हुए गीत गति हैं. ये पूरा एक महीना चलता है इस दौरान पूरा माहौल संगीतमय हो जाता है. आखिरी चार दिन 11 जनवरी को चावल धोवन, 12 जनवरी को गुंडई कुत्ता , 13 जनवरी को बॉडी , 14 जनवरी को दही -चीरा , मकर और इसी दिन ही टुसु का विसर्जन होता है.
ये यही कल होता है ,जब सूर्य देव के उत्तरायण होते ही सभी सृष्टि में सृजन का आरंभ होता है. शादी ब्याह का शुरूआत भी यहीं से होता है, नविन धन में अगले धन को सृजित करने की शक्ति का प्रवेश भी इसी के बाद आरंभ हो जाता है, जो की अगली बारिश और मिटटी मिटटी का संपर्क पड़ते ही प्रस्फुटित हो जाती है और मानव कल्याण के साथ साथ समस्त जिव कल्याण में अपना अमूल्य योगदान देती हैं.
हलाकि जो उमंग ,उत्साह और उल्लास 18 14 साल पहले था. अब वह देखने को नहीं मिलता है, धीरे धीरे यह पर्व भी औपचारिकता भर ही रह गया है.