कुआलालंपुर/ नई दिल्लीः CAA और एनआरसी के साथ पिछले कई दिनों से मलेशिया ने भारत की हालिया नीतियों का बार-बार विरोध किया था जिसपर भारत ने आपत्ति भी जताई थी.
अततः पिछले सप्ताह दुनिया में पॉम ऑइल के सबसे बड़े खरीदार भारत ने मलयेशिया से रिफाइंड पॉम ऑइल के आयात पर पाबंदी लगा दी थी और अनौपचारिक रूप से अपने कारोबारियों को मलयेशिया से हर तरह के पॉम ऑइल की खरीद पर रोक लगाने को कहा था.
मलयेशिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पॉम ऑइल उत्पादक और निर्यातक देश है, जबकि पहले स्थान पर इंडोनेशिया है.
भारत द्वारा मलयेशियाई पॉम ऑइल के आयात पर पाबंदी का असर मलयेशिया की अर्थव्यवस्था पर दिखना शुरू हो गया है.
दोनों देशों के व्यापार में जारी कड़वाहट के बीच गुरुवार को मलयेशिया के एक मंत्री ने कहा कि वह भारत सरकार और व्यापार अधिकारियों से नई दिल्ली द्वारा पॉम ऑइल के आयात पर लगाई गई पाबंदी पर बातचीत कर रहे हैं.
बता दें मलेशिया के प्रधानमंत्री महातीर मोहम्मद ने मना करने के बावजूद , जिसके बाद भारत को पॉम ऑइल के आयात पर पाबंदी का कदम उठाना पड़ा.
सूत्रों की माने तो मलयेशिया से भारत पेट्रोलियम, अल्युमिनियम की सिल्लियां, द्रवित प्राकृतिक गैस, कंप्यूटर पार्ट्स तथा माइक्रोप्रॉसेसर की खरीद पर पाबंदी लगा सकता है. हालांकि, अभी तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है.
उधर पॉम ऑइल मंत्रालय का भी कार्यभार संभालने वाले मलयेशिया के प्राथमिक उद्योग मंत्री टेरेसा कोक ने कहा, ‘इस साल हमें अपन प्रमुख बाजारों में अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.’
कोक ने कहा कि इस मामले पर वह मलयेशिया में भारत को उच्चायुक्त के संपर्क में हैं.