नई दिल्लीः देश का सबसे भयावह और वीभत्स अपराध, निर्भया गैंगरेप जिसने शीला सरकार की नींव हिला दी थी. और इस घटना को एक राजनीतिक स्वरुप देकर नवगठित आम आदमी पार्टी जैसे एक छोटे से क्षेत्रीय दल ने दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमा लिया था.
आज उसी आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के सीएम केजरीवाल पर निर्भया के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाया. निर्भया के पिता ने फोड़ा केजरीवाल पर ठीकरा, इस बीच दोषियों की फांसी लगातार टलते रहने से आहत निर्भया के परिजनों ने दिल्ली सरकार पर आक्रोश जाहिर किया है.
निर्भया के पिता ने हमारे सहयोगी चैनल टाइम्स नाउ से कहा कि दिल्ली सरकार तब तक सोई रही, जब तक हम लोग नहीं आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि आखिर दिल्ली सरकार ने जेल अथॉरिटी से पहले क्यों नहीं कहा था कि आप फांसी के लिए नोटिस जारी कीजिए.
तब तक उन्होंने जेल प्रशासन से कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा कि यदि इलेक्शन से पहले कोई फैसला नहीं आता है तो इसके जिम्मेदार अरविंद केजरीवाल होंगे. उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने सत्ता में आने के लिए निर्भया केस का इस्तेमाल किया.
उधर, निर्भया की मां आशा देवी भी केजरीवाल सरकार पर बरसीं. उन्होंने कहा, ‘सरकार चुप है, कोर्ट चुप है, कानून में कमियां हैं. जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2017 में आ गया, तब मैं दिल्ली सरकार के पास गई, केंद्र के पास गई.
आखिर दोषियों को इतना अधिकार क्यों?’ यही नहीं परोक्ष तौर पर उन्होंने दिल्ली सरकार पर वार करते हुए कहा कि 2012 में जब घटना हुई तो इन्हीं लोगों ने तिरंगे लेकर और काली पट्टी बांधकर खूब नारे लगाए. आज यही लोग बच्ची की मौत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.
मैं यह कहना चाहूंगा कि ये लोग अपने फायदे के लिए उनकी फांसी को रोके हैं। मैं प्रधानमंत्रीजी से यही कहना चाहती हूं कि आपने जिस तरह से तमाम किए हैं, उसी तरह बच्ची की मौत के साथ मजाक न होने दीजिए. बतातें चलें कि निर्भया से गैंगरेप और हत्या के दोषियों में से एक मुकेश सिंह की दया याचिका को गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति के पास भेज दिया है.
16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में हुई इस खौफनाक घटना के एक अन्य दोषी विनय शर्मा की माफी याचिका भी राष्ट्रपति के पास पहुंची थी, लेकिन उसने बाद में यह कहते हुए अर्जी वापस ले ली थी कि इसके लिए उसकी राय नहीं ली गई थी.
अब एक अन्य दोषी मुकेश की याचिका को गृह मंत्रालय ने गुरुवार रात को राष्ट्रपति के पास भेज दिया. इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वॉरंट को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 22 जनवरी को फांसी नहीं हो सकती है.
अदालत ने मुकेश की दया याचिका पर फैसला न होने की दलील मानते हुए कहा कि राष्ट्रपति का फैसला जब तक नहीं आता है, तब तक फांसी नहीं दी जा सकती है.
चूंकि राष्ट्रपति से दया याचिका खारिज होने के बाद भी दोषी को फांसी पर लटकाने से पहले कम-से-कम 14 दिनों का वक्त मिलता है, ऐसे में डेथ वॉरंट में तय तारीख 22 जनवरी को फांसी नहीं दी जा सकेगी.