जमशेदपुर(सरायकेला): सरायकेला-खरसावां जिले का एक ऐसा गांव है, जहां लोग आने जाने से डर रहे हैं. इतना ही नहीं बल्कि यहां रिश्तेदार और दूसरे गावों के लोग शादी- विवाह पर्व त्यौहार के मौके पर यहां के ग्रामीणों को बुलाना भी नहीं चाह रहे.
आइए जानते है आखिर क्या मामला है कि बीते 4 महीने से लोग इस गांव के लोगों से संपर्क तक नहीं करना चाहते-
हम बात कर रहे हैं सरायकेला- खरसावां जिला के चमारु पंचायत के बनेरडीह गांव की. जहां इस गांव को पिछले अक्टूबर महीने से चेचक बीमारी अपने प्रकोप में ले रखा है. एक दो नहीं पूरा गांव इस बीमारी की चपेट में है.
इससे पूर्व इस गांव के पड़ोसी गांव झापड़ागुड़ा में चिकन पॉक्स से 2 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. आलम ये है कि धीरे-धीरे पूरा इलाका ही चिकन पॉक्स की जद में आ चुका है. यहां तक कि पर्व त्यौहार के मौके पर भी इनसे मिलने कोई नहीं आ रहा है.
हालांकि, मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम हरकत में आई और गांव का दौरा किया. वैसे इस बीमारी के पीछे के कारणों का अब तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन प्रथम दृष्टया जो बातें सामने आई है, वो ये है कि पूरे गांव में ना तो पीने का शुद्ध पानी है और ना ही स्नान आदि के लिए कोई समुचित व्यवस्था. लोग कुएं का पानी पीते हैं और तालाब में स्नान करते हैं. यानि कहीं ना कहीं संक्रमण का मुख्य कारण तालाब को माना जा रहा है.
उधर, स्वस्थ विभाग के डॉ डीके सिन्हा ने शनिवार को सूचना पाकर घटना स्थल पहुंचे और लोगों से मुलाकात कर बीमारियों से अवगत हुए.
वहीं जानकारी लेने के बाद स्वास्थ विभाग हरकत में आई और लोगों को इस घातक बीमारी से बचने की सलाह दिए. हालांकि लोगों की नाराजगी स्वास्थ्य विभाग की सहिया को लेकर भी है. लोगों का कहना है कि सहिया समय रहते यदि विभाग के वरीय पदाधिकारियों को इसकी सूचना दे देती तो शायद यह बीमारी घातक रूप नहीं ले पाती.
फिलहाल, अभी भी गांव के 3 लोग इस बीमारी की जद में बुरी तरह से ग्रसित हैं, जिन्हें विभाग की ओर से रेस्क्यू किया जा रहा है. वहीं लोगों का कहना है कि सरकार इस पर पहल करें और गांव के लोगों को बीमारी से मुक्ति दिलाए, लेकिन देखना होगा कि सरकार इस पर क्या पहल कर रही है. आखिर कब तक लोग इस बीमारी से जूझते रहेंगे.