रांची: अपार्टमेंट कल्चलर से शहरों में पानी की किल्लत हो रही है. इस समस्या के समाधान के लिए लोगों को पानी का संरक्षण करना होगा. इसकी बर्बादी रोकनी होगी. अब हर अपार्टमेंट में वाटर रिचार्ज पिट बनाना अनिवार्य है. जिन अपार्टमेंट में यह नहीं होगा, उसे जुर्माना भरना होगा.
जन भागीदारी से ही पेयजल समस्या का समाधान हो सकता है. यह बातें रांची के धुर्वा स्थित जेएन कॉलेज में सोमवार को आयोजित एक दिवसीय त्रिस्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में उभरी.
इस कार्यक्रम में कॉलेज के प्राचार्य डॉ बीपी वर्मा मुख्य अतिथि थे. डॉ उदय कुमार, सेवानिवृत प्रोफेसर एवं राज्य सरकार के भूजल विभाग के इंजीनियर पीवी गिरी, केंद्रीय भूजल बोर्ड से सेवानिवृत वैज्ञानिक एसएन सिन्हा, प्रभारी अधिकारी केंद्रीय भूजल बोर्ड के बीके उरांव, वरिष्ठ भूजल वैज्ञानिक डॉ सुधांशु शेखर भी मौजूद थे.
वक्ताओं ने कहा कि रांची का कांके, डोरंडा, हिनू, बरियातु, हरमू इलाके के भू-गर्भ जल का स्त्र काफी नीचे चला गया है. यहां की स्थिति भयावह है. इन इलाकों में 4 से 6 इंच की बोरिंग के लिए नगर निगम और आरआरडीए से अनुमति लेनी होगी.
वर्तमान स्थिति में जल का संरक्षण जरूरी है. जल संरक्षण के लिए उसे रिचार्ज करने की विधि भी बताई. वक्ताओं ने कहा कि शहरी इलाकों में पानी की खपत अधिक है. गाड़ी धोने के लिए लोग बोरिंग के पानी का उपयोग कर रहे हैं. यह बर्बादी है.
वक्ताओं ने कहा कि रिचार्ज पिट के माध्यम से बरसात के पानी को संरक्षित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि रांची चारों तरफ से डैम से घिरे होने बावजूद भी पानी की कमी झेल रहा है. इसकी वजह पानी की बर्बादी ही है. स्थानीय भूजल की समस्यााएं और उनका निदान करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया.
मौके पर विद्यार्थी, शिक्षक सहित अन्य मौजूद थे.