रंजना कुमारी,
रांची: सरस्वती पूजा का त्योहार हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनायी जाती है. मां सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा गया है. इसलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है. इस दिन को बसंत पंचमी भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है इस दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था. साथ ही इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत होती है. इस दिन पीले वस्त्र पहनना भी शुभ माना गया है. इस बार सरस्वती पूजा के आयोजन की तारीख को लेकर थोड़ी उलझन है. कई जगहों पर इसे 29 जनवरी को तो कुछ जगहों पर 30 जनवरी को सरस्वती पूजा मनायी जा रही है.
ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूरी निष्ठा से पूजा करने से विद्या हासिल करने में मदद मिलती है. पढ़ाई में मन लगता है. यह दिन शुभ कार्यों की शुरुआत करने के लिहाज से भी काफी अच्छा माना गया है.
झारखंड की राजधानी रांची के थड़पखना मोहल्ले में करीब 50 साल पहले से पाल परिवार के द्वारा मूर्तियां बनाई जा रही हैं. रामचंद्र पाल बताते है कि पाल परिवार का खानदानी पेशा मूर्ति बनाना है. रांची से बाहर भी उनकी मूर्ति ले जायी जाती है. मूर्ति बनाने के लिए रांची की मिट्टी के साथ-साथ कोलकाता से लाई गयी मिट्टी भी मिलाई जाती है. कोलकाता से लाई गई गंगा नदी की मिट्टी मिलाई जाती है.
रामचंद्र पाल ने बताया कि मिट्टी के साथ-साथ कांस्य की भी मूर्ति बनाते हैं. सारे कारीगर रांची के ही हैं. आर्डर के अनुसार ही मूर्तियां बनाई जाती है. मूर्तियों की कीमत मूर्तियों की साइज के अनुसार होती है.