बिहार: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के लिए वर्ष 2011 का पुराना तरीका लागू करने की वकालत करते हुए कहा कि इसके नए प्रावधानों के कारण देश में भ्रम और भय का माहौल बन रहा है, जिसे टाला जाना चाहिए.
कुमार ने अपने आवास पर बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के संबंध में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के समय भी एनपीआर बनाई गई थी. इस बार एनपीआर बनाई जानी है, जो नई बात नहीं है, लेकिन इस बार इसमें कुछ ऐसे बदलाव किए गए हैं जिसके कारण लोगों में भ्रम और भय का माहौल बना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि माता-पिता का जन्म कहां हुआ है जैसे प्रश्नों के बारे में गरीब लोगों को शायद ही जानकारी हो. उन्हें भी अपनी मां की जन्मतिथि का पता नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी चीजों के बारे में जानकारी देना जरूरी नहीं है, यह बात तो बताई जा रही है लेकिन इसको अंकित करने की भी क्या जरूरत है. इससे लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा होती है इसलिए ऐसे सवालों को जोडऩे की आवश्यकता नहीं है.
कुमार ने कहा कि एनपीआर में जो पुराने प्रावधान थे उसी आधार पर इस कार्य को किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि लोगों के मन में जिन चीजों को लेकर भ्रम और भय आ गया है उन सब चीजों को देखकर समाधान करते हुए लोगों को राहत दिलानी चाहिए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले में उनकी पार्टी की जो राय है उससे केंद्र सरकार को पार्टी के दोनों संसदीय दल के नेता अवगत कराएंगे. कुमार ने जातीय आधार पर जनगणना कराने की मांग को दोहराते हुए कहा कि इस संबंध में पिछले वर्ष फरवरी में विधानसभा और विधान परिषद से एकमत से संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेज दिया गया था.
उन्होंने कहा कि वर्ष 1931 के बाद से जातिगत जनगणना नहीं हुई है. जातिगत जनगणना होने से कई बातें सामने आएंगी और इससे योजना बनाने में आसानी होगी. समाज में जो लोग हाशिए पर हैं उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कितने संसाधन की और जरूरत होगी और योजनाओं के ठीक से क्रियान्वित करने के लिए किन-किन चीजों की आवश्यकता होगी इसके संबंध में भी जानकारी मिलेगी.