रांची: हेमंत सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया. राजभवन में मंगलवार को नये मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई. अभी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित 10 मंत्री हैं. एक मंत्री का पद खाली रखा गया है. मंत्रिमंडल के वर्तमान स्वरूप के तहत रघुबर दास की राह पर हेमंत सरकार चल रही है.
रघुवर सरकार में थे 11 मंत्री
रघुवर दास के मंत्रिमंडल में पांच वर्षों तक 11 मंत्री ही रहें. रघुवर सरकार का तर्क था कि संविधान के अनुसार सरकार में मंत्रियों की संख्या अधिकतम 12 होनी चाहिए. इससे कम संख्या होना गलत नहीं है.
प्रतिपक्ष के नेता की हैसियत से हेमंत सोरेन सरकार की आलोचना करते रहे थे. सोरेन का कहना था कि यह गैर संवैधानिक है.
कई दिग्गज को जगह नहीं
हेमंत मंत्रिमंडल में झामुमो के कई दिग्ग्ज को फिलहाल जगह नहीं मिली है. इसमें डॉ स्टीफन मरांडी, मथुरा महतो, नलिन सोरेन भी शामिल हैं. मंत्रिमंडल विस्तार से पहले इनमें से कई के मंत्री बनने की बात सामने आ रही थी.
कांग्रेस से कोई महिला नहीं
विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक महिला कांग्रेस से जीतकर विधानसभा में पहुंची है. इसके बाद भी मंत्रिमंडल में किसी महिला को कांग्रेस कोटे से मंत्री पद नहीं दिया गया. मंत्री के रेस में दीपिका पांडेय सिंह आगे थी. यही नहीं कांग्रेस के कई दिग्गज को भी किनारे कर दिया गया है. इसमें राजेंद्र प्रसाद सिंह भी हैं.
एक जगह खाली रहने के कई मायने
मंत्रिमंडल में एक जगह खाली रहने को कई अर्थ में देखा जा रहा है. बताया जाता है कि सहमति बन हो जाने पर कांग्रेस कोटे से एक महिला को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. कांग्रेस द्वारा जिद छोड़ दिये जाने पर झामुमो के किसी वरिष्ठ नेता को मंत्री बनाया जा सकता है. हालांकि, इसके लिए अभी इंतजार करना होगा.
भाजपा ने हेमंत सरकार पर कसा तंज
भाजपा ने हेमंत मंत्रिमंडल में 11 सदस्योंं के होने पर तंज कसा है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जब गठबंधन के घटक दल विपक्ष में थे, तब उसके नेता 11 सदस्यों वाले कैबिनेट को गैर संवैधानिक कहते थे.
उनके अनुसार, संविधान के प्रावधानों के अनुसार 11 सदस्यों का कैबिनेट एक दिन भी अस्तित्व में नहीं रह सकता था. आज हेमंत सोरेन की कैबिनेट में मुख्यमंत्री समेत कुल 11 मंत्री ही है. यह बड़ी हास्यास्पद बात है कि जिस बात को लेकर सत्ताधारी दल विपक्ष में रहते समय सवाल खड़ा करता था, आज वह खुद उसका अनुसरण कर रहा है.
यही इनके दोहरे राजनीतिक चरित्र को दिखाता है. आज भी एक मंत्री पद को खाली यह स्पष्ट संकेत देता है कि गठबंधन की सरकार पर आज भी कांग्रेस का जबरदस्त प्रेशर है. कांग्रेस एक अतिरिक्त मंत्री पद लेने के लिए अभी तक दबाव बनाकर रखी हुई है.