नई दिल्ली: देश प्याज की थोक कीमतों में पिछले एक हफ्ते में 40 फीसदी की गिरावट आ गई है. दूसरी तरफ, विदेश से आयात हुआ प्याज कोई लेने वाला नहीं दिख रहा और मुंबई के बंदरगाह पर 7 हजार टन आयातित प्याज सड़ रहा है.
कुछ महीने पहले जब प्याज की कीमतें 150 रुपये की ऊंचाई पर पहुंच गई थी, तो सरकार ने विदेश से आयात का फैसला किया था. हालांकि, घरेलू बाजार में राहत मिलने के बाद आयातित प्याज सड़ने लगा है.
एजेंसियों की खबरों के मुताबिक मुंबई के जेएनपीटी पर बाहर से आयातित 7 हजार टन प्याज सड़ रहा है. यह 45 रुपये प्रति किलो कीमत पर यह प्याज आयात किया गया है, जबकि थोक बाजार में कीमत 24 रुपए प्रति किलो पहुंच गई है.
देश की थोक मंडियों में मंगलवार को लगातार पांचवें दिन प्याज की कीमतों में गिरावट आई. एक हफ्ते में कीमत 40 फीसदी गिर गई है. महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित लासलगांव मंडी में मंगलवार को प्याज की कीमत 24 रुपये प्रति किलोग्राम थी.
यह 20 जनवरी के 40 रुपये प्रति किलो रेट के हिसाब से करीब 40 फीसदी की गिरावट है. इसके पहले प्याज की यह कीमत 6 नवंबर को देखी गई थी. इसकी वजह से खुदरा प्याज की कीमत 40 से 44 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है.
ऐसे में आयातक माल खाली करवाने की जल्दी में नहीं दिख रहे. मुंबई के जेएनपीटी पर एक महीने से 250 रेफ्रिजरेटेड कंटेनर्स में रखा गया 7,000 टन इंपोर्टेड प्याज सड़ रहा है.
कुछ दिनों पहले उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने भी कहा था कि केंद्र सरकार राज्यों को 55 रुपए प्रति किलो की दर से प्याज दे रही है. सरकार ने अब तक विदेशों से 24,500 टन प्याज मंगाया है, जबकि आयात के कुल 40,000 टन के सौदे हुए हैं. लेकिन राज्यों ने केवल 2,000 टन प्याज ही उठाया है, लिहाजा अब बचे हुए 89 फीसदी प्याज के सड़ने की चिंता बढ़ रही है. उन्होंने कहा था कि राज्य सरकारेंआयातित प्याज लेने से मना कर रही हैं.
पिछले दिनों नए प्याज की आवक मंडियों में बढ़ गई है जिसकी वजह से प्याज की कीमतों में गिरावट आई है. प्याज का दाम बढ़ने पर किसानों ने रबी सीजन में अच्छी फसल लगाई है और प्याज का रकबा चालू सीजन में 9.34 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल रबी सीजन में प्याज का रकबा 7.6 लाख हेक्टेयर था.