रांची: यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर बैंक कर्मचारी और अधिकारियों की दो दिवसीय हड़ताल शुक्रवार से शुरू हुई. हड़ताल को सफल बनाने के लिए पहले दिन बैंक कर्मचारियों ने रांची स्थित बैंक ऑफ इंडिया के आंचलिक कार्यालय के समक्ष विरोध प्रदर्शन किया. इसमें महिला तथा पुरुष कर्मचारी एवं अधिकारियों ने हिस्सा लिया. सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. हड़ताल के दौरान सभी राष्ट्रीयकृत बैंक और कुछ निजी बैंक पूरी तरह से बंद थे.
एआईबीओसी के प्रदेश सचिव सुनील लकड़ा ने कहा कि 30 जनवरी को मुख्य श्रमायुक्त की पहल पर आईबीए एवं यूएफबीयू के बीच वार्ता हुई. जिसमें आईबीए पहले की तरह अपनी हठधर्मिता पर अडिग रहा. फलत: वार्ता विफल हो गयी. कर्मियों को बाध्य होकर हड़ताल पर जाना पड़ा. उन्होंने कहा कि वेतन समझौता 1 नवंबर 2017 से लंबित है. आए दिन बैंकों में स्टाफ की कमी होती जा रही है. काम का बोझ बढ़ता जा रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार के कार्यक्रमों को लागू करने के कारण बढ़ते हुए बोझ को देखते हुए एक उचित एवं सम्मानजनक समझौता होना चाहिए. इस हड़ताल में बैंकों की 9 यूनियनें शामिल हैं. बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों का वेतन समझौता पांच वर्ष में होता है. वेतन समझौता बैंकों के प्रतिनिधि IBA व यूनियन के बीच समझौते के आधार पर होता है. उन्होंने कहा कि बैंक कर्मचारियों का वेतन समझौता 26 महीनों से लंबित है.
कर्मचारियों का कहना है कि केंद्र सरकार के द्वारा लगातार नकारात्मक रवैये के कारण उन्हें हड़ताल पर जाना पड़ रहा है. प्रदर्शन को सुनील लकड़ा, देवाशीष सेनगुप्ता, उमेश कुमार दास, अभिजीत मल्लिक, असीम मुखर्जी, प्रकाश उरांव, विजय कुमार वाधवा, भरतलाल ठाकुर ने भी संबोधित किया.
ये हैं मुख्य मांगें
- 1 नवंबर 2017 से लंबित वेतन समझौता जल्द किया जाए.
- पेंशन का अपडेशन किया जाए.
- परिवारिक पेंशन में वृद्धि की जाए.
- न्यू पेंशन स्कीम रद्द किया जाए.
- सभी शाखाओं में एक समान कारोबार अवधि लागू किया जाए.
- बैंक अधिकारियों के लिए नियत कार्य अवधि तय किया जाए.
- पांच दिवसीय बैंकिंग कार्य प्रणाली लागू किया जाए.
- समान काम के समान वेतन दिया जाए.